Book Title: Bhimsen Harisen Charitra Author(s): Amolakrushi Maharaj Publisher: Pannalal Jamnalal RamlalPage 20
________________ ( १८) दोनू बन्धवकी दासीया, अम्ब लेवा गइ व. नपाल पास तो॥ पांच सहकार देखी करी, जगडन लागी ते तीननी प्रास तो ॥ वनरदंक तो चुप रह्यो, जसोदा कहे हम रायना दास तो॥ तीन प्रांब हम लेवस्यां, इम कही ले चाली धरती हुल्लास तो॥ त्रिया : चरि. त्रको सांगलो ।। यह अांकडी ॥४१॥ कुंती जोती ऊनी रही, उदास हुइ अाइ मेहल खास तो॥ सुरसुन्दरी पूछे तदा, क्योंरी अाज कैसे दीखे उ. दास तो॥ रसाल क्यों लाइ नही, खूणे बेठी किस्यो करे हियास तो ॥ कुंती क्रोधमें प्रजली, बोलण लागी सिलगावण घास तो॥त्रि०॥४२॥तूं कारो नही दीजीये, बोलजो अब म्हाराथी वीमास तो ॥ थें चाकर नीमसेणका, हम पण नो१ अम्बा. २ माली. ३ पिचार.Page Navigation
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