Book Title: Bhimsen Harisen Charitra
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Pannalal Jamnalal Ramlal

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Page 18
________________ तो ॥ काल वीत्यो जाणे नहीं, कोइ तरहाको नही तस सोग तो॥ नाइ पे विश्वास धारीने, जाणे मिट्यो राज चिंताको रोग तो ॥ द्रव नावे सुख मानता, एक दिन पूर्व पुन्य संजोग तो ॥ मु०॥३७॥ सूशीला सुती पाणंदमें, देव विमाण स्वपन माहे गेग तो ॥ उबासी जोगे पेठो उद्रमे, जागीने प. तीने मुणायो ते योग तो ॥ पुत्र होसी सुर सारीखो, कमलायश सुख बधासी मन्योग तो॥ सवानव मास पूरा हुवा, पुत्र जन्म्या मोत्सब कियो ढोंग तो॥ सु०॥३८॥ देव यांन दर्शनानु सारसे, देवसेण नाम दियो गुण जोग तो ॥ पंच धाये बृधी हूवे, मास बारा गया शुन उद्योग तो॥ तिमही फिर राणी स्वपनमें, इंद्र केतू देखी बहू द्वज दोग तो ॥ पुत्र हुयो गुण निष्पन्ने, केतृसेण नाम दियो १ देख. २ पेट. ३ विमाण. ४ जना. ५ परवरी.

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