Book Title: Bhimsen Harisen Charitra Author(s): Amolakrushi Maharaj Publisher: Pannalal Jamnalal RamlalPage 32
________________ (३०) ।। ७२ ॥ थाक्या घणा पग ना उठे, कॉपडी देखी विसामारे काज तो ॥ तिणमें कोइ दीठे नही, अाइ बेठ्या चारी जिव तिहांज तो ॥ नूषण डावा छुटा धर्या, धरती सयन कर्यों पुत्र राः णी राज तो ।। नुज उसीस्यो शिरतले, सुकुमाल अंगे चूचे ते जागाज तो ॥ त्रि० ॥ ७३ ।। सरीर टींचाणो तेहथी, रक्ततणी पडे छे धाराज तो॥ ऊग २ अग्नी जिम जले, शीतल वायरो रह्यो छे बाज तो॥ तिणथी तेहपे सोजन चडी, जक नही पडे छे दुःखे छे काज तो॥ थाक उजागर जोगथी, चारां तणे लागी छे निंद्राज तो ॥ त्रि० ॥ ७४ ॥ तिहां अशुभ कर्मोदय,चो. र चोरी लाया धन्नादी साज तो॥ पाती करवा कारणें, अाव्या ते तिण कुंपडामाज तो ॥ उंचा देख्या चिलकता, अचर्ज पा लेगया चुपकानPage Navigation
1 ... 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126