Book Title: Bhimsen Harisen Charitra
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Pannalal Jamnalal Ramlal

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Page 12
________________ (१०) नयो उत्पन्न तो॥सु०॥२१॥अश्वनी श्रेणिका सजकरी, क्रिडा करवाने जाऊं. में वन तो ॥ महीपत डोहलो पूरियो, सवा नव मास वीत्या तत्दन तो ॥शुन महूरत ने शुनघडी, प्रसव्या कुमर थयाशुव चिन्ह तो ॥ दासी बधाइ दी रायने, बडारण कर तस्य करी प्रसन्न तो ॥ सु० ॥ २२ ॥ जन्म ओत्सब घणो कियो, उठे दिन कराया रवी दरशन तो ॥ कुटुंब जिमायो दिन बारमें, गुण निष्प. न कर्यो नाम थापन्न तो ॥ नीम स्वपन डोहलो उप्पनो, तिण गुणे नाम कुमर नीमसेण तो॥सुखे २ वृधी हुवे, जिम सुक्लपद में स्वामी रयन तो ॥ ॥सु० ॥ २३ ॥ मास दुवादश अंतरे, पूर्व परे राणी कीधो सयन तो॥ हरी नर्यो वन फल्यो फूल्यो, देखीने जागी राणी स्वपन तो ॥त्रीजे १ घोडा. २ शैन्य. ३ सूर्य. १ चंद्र

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