Book Title: Bhimsen Harisen Charitra
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Pannalal Jamnalal Ramlal
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(८) चे स्वपन अर्थघर खांपतो ॥ पुत्र होसी मुलक्षणो, सूर वीर गुणधारी अमापतो ॥ मु० ॥ १७॥सुण गुणसुंदरी खुष हुइ, तहत बचन नाथ होवजो एम तो ॥ अज्ञा ले निज मंदिर गइ, दास्या बुलाइ धरी गर्न प्रेम तो॥ जाग्रण कियो धर्म कथा करी, दू स्वपनथी टालण अक्षम तो॥ निशा गइ उगा दिन करूं, राय जीतारी करी नित्य नेम तो ॥ सु०॥ ॥ १८ ॥ आदेश देइ किंकर नणी, राय सनाने साफ कराय तो॥ ग्रासण केइ मांडीया, चंद्रबा बत पडदा डलाय तो ॥ स्वपन पाठकने बुलाइया, शास्त्र ले प्राय सहू हुल्लसाय तो ॥ नूपादि आदर दियो, उंचासण बेठा सुख माय तो॥सु० ॥१९॥स्वपन अर्थ श्रवण करन,राय राणीदिबेठा चुप चाप तो॥ विबुध बहोत्तर स्वपन कह्या, तीस उत्तम बयालिस
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१ अपार.

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