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भारत का भविष्य
मिल्क क्या बला है? कंडेंस मिल्क सुना है, पैश्चराइज्ड मिल्क सुना है, प्योर मिल्क क्या बला है? मैं मैनेजर को बुला लाता हूं। वे बड़े हैरान हुए! मैनेजर आया उसने पूछा कि यह शुद्ध दूध क्या है? तो उन्होंने कहा, आप समझे नहीं, मेरा मतलब यह है कि दूध में पानी न मिला हो। उन्होंने कहा, वह तो मिलाएंगे ही हम क्यों? यह सवाल ही क्यों उठा आपके मन में? कोई ऐसी जगह भी है जहां कोई दूध में पानी मिलाता हो? तो उन्होंने कहा कि मेरा देश है! मैं उनके घर में मेहमान था, वे मुझे कहने लगे तो मैंने कहा कि आपने गलत कहा, वह जमाना गया जब हमारा देश दूध में पानी मिलाता, अब हम पानी में दूध मिला रहे हैं। वह वक्त गए, अब कोई दूध में पानी नहीं मिलाता। अब तो पानी में हम दूध मिला लेते हैं। आपने गलत कहा। मैंने कहा, वापस लिख दो एक पत्र क्षमायाचना का कि थोड़ी गलती हो गई। जिन्हें हम भौतिकवादी कहें उन्हें समझना मुश्किल है कि शुद्ध दूध क्या होता है? शुद्ध घी क्या होता है? और हमारी दुकान पर लगा हुआ है कि यहां शुद्ध घी मिलता है। और जहां अशुद्ध मिलता हो वहां हमें बोर्ड लगाना पड़ता है शुद्ध का। नहीं तो कभी लगाने की जरूरत नहीं पड़ती। हमारी यह मनोदशा! हमारी यह चित्त-स्थिति! अभी मेरे एक डाक्टर मित्र कह रहे थे कि दूध में पानी मिलाओ वह ठीक है, इंजेक्शन में भी पानी मिल रहा है। मरीज को इस भरोसे पर इंजेक्शन दिया जा रहा है कि वह बच जाएगा। न मरीज को पता है, न डाक्टर को पता है कि इंजेक्शन में कुछ भी नहीं है, सिर्फ पानी है। कोई कल्पना भी नहीं कर सकता है कि इतना करप्टेड माइंड हो सकता है कि एक मरते हुए मरीज को—जिसकी जिंदगी इंजेक्शन पर निर्भर होगी—उसको पानी दिया जा रहा है। हम आध्यात्मिक लोग हैं। हम जो न करें वह थोड़ा है। हमारी यह अकड़ कैसे टूटेगी? यह अकड़ तोड़नी पड़ेगी। और जो जिंदगी के सीधे तथ्य हैं उनको समझना पड़ेगा। हम धीरे-धीरे ऐसी अकड़ से भर गए हैं कि जिंदगी का जो नग्न सत्य है, उसको देखते ही नहीं। उससे आंख चुराए चले जाते हैं, आंख बंद किए चले जाते हैं, और ऊंची बातें करते रहते हैं। कई बार मुझे लगता है कि ऊंची बातें करना कहीं जिंदगी के नीचे तथ्यों से एस्केप करने की तरकीब तो नहीं है? अक्सर ऐसा होता है। अक्सर ऐसा हो जाता है। अक्सर आदमी जब मरने लगता है, मौत के करीब पहुंचने लगता है तो आत्मा की अमरता की बात करने लगता है। उसका कारण यह नहीं होता कि उसे पता चल गया आत्मा अमर है, वह मौत को झुठलाना चाहता है। अब वह जो मौत सामने दिखाई पड़ रही है वह उससे बचना चाहता है। तो अब किताब पढ़ने लगता है, जहां लिखा है : न हन्यते न हन्यमाने शरीरे। वह गीता पढ़ने लगता है कि आत्मा अमर है, कोई मरता नहीं। इसलिए नहीं कि गीता से कोई मतलब है, इसलिए भी नहीं कि आत्मा से कोई मतलब है। मतलब एक है कि यह मौत सामने खड़ी है अब इससे कैसे बचें? इसको कैसे झठलाएं? तो अपने मन में कहता है. आत्मा अमर है, आत्मा अमर है और भीतर जानता है कि मरना करीब आ रहा है। अब वह मरने को
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