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भारत का भविष्य
जुंग ने एक संस्मरण लिखा है कि उसके पागलखाने में दो प्रोफेसरों को इलाज के लिए लाया गया। असल में, जो प्रोफेसर एकाध दफे दिमाग के इलाज के लिए न जाए वह थोड़ा ठीक प्रोफेसर नहीं है। ऐसा जानना भी चाहिए। दोनों का दिमाग खराब हो गया है। उन दोनों को लाया गया है, उन दोनों का जंग अध्ययन करता है तो बड़ा हैरान हो जाता है। वह देखता है कि वे अपने कमरे में बैठे दोनों बात करते हैं, बातें बड़ी ऊंची होती हैं, लेकिन एक बड़ी अजीब बात है कि जो एक प्रोफेसर जब बात करता है तो दूसरा चुप रहता है, और जब दूसरा बात करता है तो पहला चुप रहता है। हालांकि उन दोनों की बात में कोई संबंध नहीं है। पहला अगर आकाश की बात करता है तो दूसरा जमीन की बात करता है। उनमें कोई संबंध नहीं। खैर दो पागलों के बीच में कोई बात का संबंध न हो यह समझ में आता है। जुंग को दिक्कत यह होती है कि जब दोनों पागल हैं और बात में कोई संबंध नहीं तो जब एक बोलता है तो दूसरा चुप क्यों हो जाता है? उसको बोलते रहना चाहिए। वह अंदर जाता है और उनसे पूछता है कि मेरी समझ में आ गई सब बात, एक समझ में नहीं आती, कि जब एक बोलता है तो दूसरा चुप क्यों हो जाता है? तो वे दोनों हंसते हैं, वे कहते हैं कि आप समझते हैं कि हमें कनवरसेशन का नियम नहीं मालूम। नियम हमें मालूम है। बातचीत का नियम यह है कि जब एक बोले तब तुम चुप रहो। तो जुंग कहता है कि जब तुम्हें इतना मालूम है बातचीत का नियम कि जब एक बोले तब तुम चुप रहो, तब तुम्हें यह भी तो पता होना चाहिए कि जो एक बोल रहा है तुम्हारे बोलने में उससे कुछ संबंध हो। तो वे दोनों पागल हंसते हैं, वे कहते हैं खैर हम तो पागल हैं, लेकिन हमने ऐसे आदमी ही नहीं देखे जिनकी बातचीत में कोई संबंध हो। हम तो पागल हैं लेकिन हमने और आदमी भी नहीं देखे जिनकी बातचीत में कोई संबंध हो। लेकिन यह बात शायद उन पागलों की सबके बाबत सही न हो, लेकिन इस वक्त, इस मुल्क में यह सही हो गई है। बाप और बेटे की बातचीत में कोई संबंध नहीं, दो पागलों की बातचीत है। गरु और शिष्य के बीच कोई संबंध नहीं, दो पागलों की बातचीत है। गुरु अपनी कहे चला जा रहा है, शिष्य अपनी कहे चला जा रहा है। गुरु ही बोल रहा है और वह खुद ही सुन रहा है और शिष्य बोल रहा है और वह खुद ही सुन रहा है। सुनने और बोलने का काम एक ही आदमी को खुद ही करना पड़ रहा है। बाप जो बोलता है, बाप ही सुनता है, बेटा सुनता नहीं। जब बाप बोलता है तब बेटा इस तैयारी में होता है कि कैसे इस सुनने के दायरे के बाहर हो जाए। जब बेटा बोलता है तब बाप ऐसे सुनता है जैसे कि यह बात न ही सुनी होती तो अच्छा था। । इन दोनों पीढ़ियों के बीच जो यह गैप है, यह गैप नये भारत के निर्माण में सबसे बड़ी बाधा बनेगा। यह जो अंतराल है यह अंतराल नये भारत को कैसे बनने देगा? क्योंकि नये भारत को बनाना है नये लड़कों को और नये भारत के लड़के अगर अपनी पुरानी पीढ़ियों की सारी समझ के बिना भारत को बनाएंगे, तो भारत एक मैटीरियलिस्ट मुल्क होगा, एक भौतिकवादी मुल्क होगा। जिसमें अध्यात्म के लिए हमने सब आधार तोड़ दिए होंगे, जिसमें हमने अध्यात्म के लिए सब ओपनिंग खत्म कर दी होंगी, जिसमें हम अध्यात्म के फूल नहीं खिलने देंगे। अगर भारत नये लड़के बनाएंगे सिर्फ, तो भारत निपट शरीरवादी मुल्क होगा, जिसमें आत्मा को शायद हम धीरे-धीरे भूलते चले जाएंगे। और अगर भारत के नये बच्चे निर्माण न कर पाएं और भारत के बढ़े जीत
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