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भारत का भविष्य
तो हिंदुस्तान की आम जनता को जो काम नहीं मिलता है, खाना नहीं मिलता है, उनको क्या काम और कैसे देंगे? वह सब देंगे तो बराबर।
हमारी तकलीफ क्या है कि जब हम भविष्य के किसी यंत्र की बात करते हैं तब भी आर्थिक बद्धि हमारी अतीत की होती है। भविष्य के यंत्र की बात करते हैं और समझ हमारी अतीत की आर्थिक होती है। इसलिए कठिनाई होती है। जैसे मैं आपसे कहता हूं, जिस दिन आटोमेटिक यंत्र आ जाएगा, आप समझते हैं— हजारों कारखाने बंद हो जाएं कार के, एक कार का कारखाना चलेगा। उसमें किसी को मजदर की जरूरत नहीं रह जाएगी। शायद दस-पांच आदमी उपयोगी होंगे, लाखों आदमी बेकार हो जाएंगे। लेकिन क्या आप समझते हैं यह कारें आप बनाइएगा किसलिए, खरीदेगा कौन? जब सारा मुल्क बेकार होगा तो ये कारें खरीदेगा कौन, इनको बनाइएगा किसलिए? इधर आपको कार बनानी पड़ेगी, इधर बेकार लोगों को पैसा देना पड़ेगा। नहीं तो ये कार बिकेगी कहां? आप समझ नहीं रहे हैं। हमारा जो पुराना दिमाग है वह यह कहता है कि जब काम नहीं होगा तो फिर मर जाएंगे आदमी। लेकिन जिस दिन आटोमेटिक यंत्र आ गया उस दिन हमारी पूरी आर्थिक-व्यवस्था का पुराना ढांचा बदलेगा और ढांचा नया होगा, और ढांचा यह होगा कि बेकार आदमी के लिए हमें पैसा देना पड़ेगा। अन्यथा वह खरीदने वाला ही नहीं है कोई। आप टुथपेस्ट बना लें, साबुन बना लें आटोमेटिक यंत्र से, खरीदेगा कौन? पूरा का पूरा मुल्क बेकार है। अगर आपको यह उत्पादन जारी रखना है आटोमेटिक तो आपको बेकार लोगों को पैसा देना पड़ेगा। बल्कि मेरी अपनी समझ यह है, और आज अमेरिका में जहां कि अकेली स्थिति बनी है, तो इस सदी के पूरे होते-होते आटोमेटिक स्थिति आ जाएगी। तो उनको अपना पूरा...अभी तक हमारा यह व्यवस्था थी कि जो काम करे उसे पैसा मिले। आने वाली व्यवस्था यह होगी कि जो काम न करे उसे पैसा मिले। जो काम भी मांगे, क्योंकि बहुत लोग होंगे जो आप्सेशनल हैं, बहुत लोग हैं जो खाली नहीं बैठ सकते हैं। बहुत लोग हैं—न संगीत में रुचि ले सकते हैं, न कविता रच सकते हैं, न किताब पढ़ सकते हैं, न ताश खेल सकते हैं, न सिगरेट पी सकते हैं, या बहुत लोग हैं जिनको काम जो है वह बीमारी है—उनको काम चाहिए ही। जैसे कर्मयोगी जिनको हम कहते हैं इस तरह के लोगों को तो काम चाहिए। इनकी कर्म बीमारी है, ये फुरसत में हो नहीं सकते, इनका रोग है। तो इस तरह के लोगों के लिए हमें काम देना पड़ेगा। तो इस तरह के लोगों को तनख्वाह कम मिलेगी भविष्य में। क्योंकि ये दोनों चीजें मांगते हैं तनख्वाह भी मांगते हैं और काम भी मांगते हैं। भविष्य की पूरी इकॉनामिक्स बदलेगी। हमारी पुरानी इकॉनामिक्स की वजह से हमको सवाल उठता है कि लोग बेकार हो जाएंगे। तो फिर क्या होगा? लोग बेकार हो जाएंगे यह सवाल लोगों के लिए नहीं है। जो लोग उत्पादन कर रहे हैं उनके लिए सवाल है कि उत्पादन का क्या होगा? अगर आपको उत्पादन खपाना है और कारखाना चलाना है, कंप्यूटर चलाना है, आटोमेटिक मशीन चलानी है, तो बेकार आदमियों के लिए आपको पैसा देना पड़ेगा। और जो आदमी जितने कम काम की मांग करेगा, उसको उतना ज्यादा पैसा देना पड़ेगा। जो आदमी कहेगा हम बिलकुल नहीं काम
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