Book Title: Bharat ka Bhavishya
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Osho Rajnish

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Page 192
________________ भारत का भविष्य हजार साल से गरीब है। वह गरीबी से तो परेशान है ही, अगर कोई उसे समझाने वाला मिल जाए कि गरीबी तो बड़ी भगवान की कृपा है। तो उसको बड़ा कंसोलेशन होगा। महावीर जब राज्य छोड़ कर सड़क पर खड़े हो गए तो गरीब बड़े प्रसन्न हुए, उन्होंने कहा, यह है महान त्याग। और गरीब ने समझा कि भगवान हम पर बड़ा कृपालु है क्योंकि महावीर को जो हमको करना पड़ा वह हमको जन्म से मिला हुआ है। जो दुनिया में गरीब की लंबी परंपरा है, वह गरीब की लंबी परंपरा त्यागियों को आदर देती है। क्योंकि त्यागी का मतलब है : स्वेच्छा से बना हुआ गरीब। वह वालेंटरी पावर्टी है उसकी। और मजे की बात यह है कि वह पुअर इसलिए नहीं बनता, वालेंटरी पावर्टी जो उसकी स्वेच्छा से दरिद्रता वरण की है, वह कोई दरिद्रता के रस से नहीं की है. वह संपन्नता से अरुचि से पैदा होती है। इसका असली कारण बहत दसरा है। बुद्ध के पास बुद्ध के बाप ने सब सुंदर औरतें इकट्ठी कर दीं। ऊब गया, कोई भी ऊब जाएगा। बुद्ध भी कोई खूबी नहीं है उसमें। किसी भी साधारण आदमी के पास दस-पच्चीस सुंदर स्त्रियां इकट्ठी कर दो वह एकदम भाग खड़ा होगा उनसे। क्योंकि सुंदर स्त्री जितनी दूर होती है उतनी सुंदर मालूम पड़ती है। और पास ही आ जाए तो थोड़ी देर में घबड़ाने वाली और उबाने वाली हो जाती है। तो बुद्ध कोई ब्रह्मचर्य के लिए नहीं भाग गए हैं। असली कारण यह है कि औरतें इतनी इकट्ठी हैं कि औरतों से भागने के सिवाय कोई रास्ता नहीं रह गया। लेकिन जिसके पास औरत नहीं है वह बड़ा प्रसन्न हो रहा है। वह कह रहा है, हम पर भगवान की बड़ी कृपा है। हमको पहले से ही नहीं, तुमको भागना पड़ रहा है। इस पर कोई कृपा नहीं है यह औरतों के पीछे भागता ही रहेगा। जहां भी संपन्नता गहरी पैदा होती है वहां संपन्नता से अरुचि पैदा हो जाती है। असल में, कोई भी चीज, मनुष्य के मन के बड़े अदभुत नियम हैं, एक नियम यह है कि हर चीज का स्वाद हमें उबा देता है। गरीब आदमी अमीर होने की कोशिश में लग जाता है। एक दफा आप अमीर हो जाएं आप गरीब होने की कोशिश में लग जाएंगे। ये सब गरीब होने की कोशिश से पैदा हुए महात्मा हैं। यह टालस्टाय, यह रस्किन, ये सारे के सारे लोग। ये अमीरी से ऊब गए हैं। इनके मुंह का स्वाद खराब हो गया है—अच्छे भोजन से, इनको अब रूखी-सूखी रोटी चाहिए। अब ये नेचरोपैथी के चक्कर में पड़ेंगे। ये बच नहीं सकते। जिस मुल्क में ज्यादा खाना पैदा होता है वहां उपवास का कल्ट फौरन पकड़ जाता है। अमेरिका में जोर से पकड़ रहा है। जगह-जगह उपवास करने वाले बैठे हए हैं। असल में जब ओवरफेडिंग हो जाती है और ज्यादा आदमी खा जाता है, तो खाने से ऊब पैदा होती है, फिर न खाने में बड़ा आनंद आता है। महावीर को आनंद आता है न खाने में, बिहार के अकाल में पड़े आदमी को बिलकुल आनंद नहीं आता नहीं खाने में। असल में, जो हमें मिलता है हम उससे ऊब जाते हैं। बहुत लोग गरीब हैं इसलिए हम सब गरीबी से ऊबे हुए हैं। बहुत थोड़े लोग अमीर हैं इसलिए बहुत थोड़े लोग अमीरी से ऊब पाते हैं। और जो अमीर हैं वे भी पूरी तरह अमीर नहीं हैं। जब तक पूरी सोसाइटी अमीर न हो तब तक एक इंडिविजुअल का पूरा अमीर होना बहुत मुश्किल है। बहुत मुश्किल है, वह हमेशा अमीर हो ही नहीं पाता, हमेशा होता रहता है। वह हमेशा Page 192 of 197 http://www.oshoworld.com

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