Book Title: Bharat ka Bhavishya
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Osho Rajnish

View full book text
Previous | Next

Page 172
________________ भारत का भविष्य अगर आपके बच्चे आपकी गीता को फेंक रहे हैं, तो उसका कारण है। क्योंकि भूखे पेट पर रखी गई गीता सुख नहीं देती, सिर्फ दुख देती है, उतारने की जरूरत पड़ जाती। अगर आपके बच्चे अब मानने को राजी नहीं हैं कि कृष्ण बांसुरी बजाते रहे होंगे, क्योंकि बांसुरी बजाने के लिए जिंदगी के लिए जितनी जरूरत है वह कोई भी पूरी होती दिखाई नहीं पड़ती। तो अगर कृष्ण पर शक आ रहा हो आपके बच्चों को तो वे जिम्मेवार नहीं हैं हम ही जिम्मेवार हैं। क्योंकि हमने जो हालत पैदा की है, वह हालत प्रतिक्रिया में ले जाने वाली है। खतरा बहुत है। और खतरा बड़े से बड़ा खतरा यह है कि हमने अध्यात्मवाद के दुख झेल लिए, कहीं अब हमें भौतिकवाद के दुख न झेलने पड़ें। कहीं ऐसा न हो कि हम अकेला शिखर लिए बैठे रहे हैं और नींव न भरी, अब हम नींव भर कर बैठ जाएं और मंदिर न बनाएं। इसका बहुत डर है। इसलिए भारत को अध्यात्मवाद के नीचे भौतिकवाद की नींव देनी है, अध्यात्मवाद के खिलाफ भौतिकवाद का आंदोलन नहीं करना है। असल में, भारत को अपने ऋषि-मुनियों के लिए वह नींव देनी है जिसको वे खुद इनकार करते रहे हैं। असल में, भारत को महावीर और बुद्ध के पैरों के नीचे आइंस्टीन और न्यूटन को खड़ा करना है। क्योंकि उनके बिना महावीर और बुद्ध अब खड़े नहीं रह सकते। उनकी मूर्तियां गिर जाएंगी और चूर-चूर हो जाएंगी और मिट्टी में मिल जाएंगी, लोग उनके ऊपर जूते रख कर चलेंगे, और कोई उपाय नहीं रह जाएगा। विज्ञान अगर भारत मन का आधार बन जाए तो भारत की आत्मा धर्म की उड़ान ले सकती है। और मैं विज्ञान और धर्म में कोई विरोध नहीं देखता। लेकिन कठिनाई है, धार्मिक आदमी विरोध देखता है, और विज्ञान पढ़ने वाला विद्यार्थी भी विरोध देखता है। धार्मिक आदमी मानता है कि विज्ञान की बातों ने धर्म नष्ट कर दिया और वह विज्ञान की शिक्षा पाने वाला युवक मानता है कि धर्म की बकवास अंधविश्वास है, इसका विज्ञान से क्या संबंध है ? एक खाई, एक जेनरेशन गैप पैदा हो रहा है। हिंदुस्तान में यह खाई जितनी बड़ी है उतनी दुनिया में कहीं भी नहीं है। पुरानी पीढ़ी और नई पीढ़ी के बीच इतनी बड़ी खाई हो रही है कि उसके आर-पार हाथ फैलाने मुश्किल मालूम हो रहे हैं। मैं नहीं मानता हूं ऐसे घर जिनमें बाप और बेटे बैठ कर बात भी करते हैं। कोई कम्युनिकेशन नहीं है। मैं सैकड़ों घरों में ठहरता हूं। बाप और बेटे बच कर निकलते हैं। या तो बाप को कोई उपदेश देना होता है तब बेटे को दो मिनट रोकता है, या बेटे को बाप की जेब से कुछ निकालना होता है तब वह दो मिनट के लिए मिलता है। लेकिन कोई कम्युनिकेशन नहीं है, कोई संवाद नहीं है, कोई दोनों के बीच कोई संबंध नहीं रह गया है। बाप किसी और दुनिया का हिस्सा है, बेटा किसी और दुनिया का हिस्सा है, बेटी कहीं और जी रही है, मां कहीं और जी रही है। न मां बेटी की बात समझ पाती, न बेटी मां की बात समझ पाती। उनके पास कॉमन लेंग्वेज भी नहीं है, समान भाषा भी नहीं जिसमें बातचीत हो सके। हिंदुस्तान के साधु एक तरफ खड़े हैं वे अपनी बातचीत जारी रखे हुए हैं, वे अपने पुराने का गुहार मचा रहे हैं। हिंदुस्तान के जवान एक तरफ खड़े हुए हैं वे अपनी बातचीत जारी रखे हुए हैं वह अपनी बात चिल्ला रहे हैं और दोनों के बीच कोई बातचीत नहीं हो रही । Page 172 of 197 http://www.oshoworld.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197