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भारत का भविष्य
हैं। और जो हम नहीं कर सके, ध्यान रहे, वह भगवान नहीं करेगा। क्योंकि उस सबको करने की पूरी क्षमता उसने हमें दे दी है। अब उसकी कोई जिम्मेवारी नहीं है। रोटी हम पैदा कर सकते हैं, कपड़े हम पैदा कर सकते हैं, मकान हम बना सकते हैं। इसमें भगवान को बीच में लाकर कष्ट देने का कोई भी कारण नहीं। लेकिन हम पांच हजार साल से कष्ट दिए जा रहे हैं। और अगर भगवान हमसे डर कर कहीं छिप गया हो तो बहत हैरानी की बात नहीं है। और अगर उसने अपने कानों का आपरेशन करवा लिया हो और हमारी प्रार्थना न सुनता हो तो उचित ही किया है, नहीं तो वह पागल हो जाता। जो काम हम कर सकते हैं उसके लिए किसी और से कहने जाना नपंसकता है, इंपोटेंस है। असल में, भगवान के सामने जाने का वह आदमी अधिकारी है कि जिसने अपनी जिंदगी का परा काम परा कर दिया और अब भगवान के सामने पूछने गया है कि अब और क्या? असल में, और काम पूछने जो गया है भगवान के सामने, जो पूछने गया है कि जो हो सकता था वह हो गया, अब जो नहीं हो सकता उसकी कुछ बात करें। जो पूछने गया है कि जिंदगी का सारा काम निपटा दिया है अब और कोई काम है इस जिंदगी के ऊपर? जमीन की सारी बात पूरी हो गई है, आकाश की भी कोई बात है? शरीर का सारा इंतजाम हो गया है, शरीर के ऊपर भी मनुष्य का कोई व्यक्तित्व है? जो भगवान के मंदिर में सारे काम मंदिर के बाहर के पूरे करके पहुंचा है, शायद भगवान के काम उसके ही उपयोग में आ पाते हैं अन्यथा नहीं आ पाते हैं। पुराना भारत शरीर के विरोध में अध्यात्मवादी था इसलिए शरीरवादी हो गया, अध्यात्मवादी नहीं हो पाया। नये भारत के साथ खतरा है जो मैंने कहा कि कहीं वह पुराने की प्रतिक्रिया में अब निपट भौतिकवादी न हो जाए। और कहे कि पांच हजार साल तो अध्यात्म की बकवास हो चुकी, अब हम छोड़ना चाहते हैं। यह खतरा है, और यह खतरा बहुत वाइटल है, बहुत जीवंत है। यह खतरा बहुत ही ऐसा है कि शायद ही हम इससे बच सकें। अगर बच जाएं तो सौभाग्य, न बच पाएं तो किसी से शिकायत करने का भी कोई उपाय न होगा। क्योंकि पांच हजार साल से हम इतने परेशान हो गए हैं अध्यात्म की बात करते-करते कि पेंडुलम अब मैटीरियलिज्म की तरफ सीधा घूम जाएगा। इसलिए हिंदुस्तान के कम्युनिस्ट हो जाने की संभावना रोज बढ़ती जाएगी। उसके लिए हिंदुस्तान के कम्युनिस्ट जिम्मेवार नहीं होंगे, न तो डांगे हिंदुस्तान को कम्युनिस्ट बना सकते हैं और न पी.सी. जोशी बना सकते हैं और न राडरे बना सकते हैं। हिंदुस्तान को अगर कम्युनिस्ट बनाएंगे तो हिंदुस्तान के पांच हजार साल के ऋषि-मुनि उसके लिए जिम्मेवार होंगे। क्योंकि उन्होंने इतनी बकवास की है अध्यात्म की कि हिंदुस्तान के बच्चे अगर उनके खिलाफ चले जाएं तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं है। यह रिएक्शन होगा। हिंदुस्तान में कम्युनिज्म या हिंदुस्तान में भौतिकवाद रेवल्यूशन नहीं होगी, रिएक्शन होगा। हिंदुस्तान में कम्युनिज्म क्रांति नहीं है प्रतिक्रिया है। वह हिंदुस्तान के पांच हजार साल की दुखद कहानी का विरोध है। और अगर आज आपके बच्चे मंदिर जाने से इनकार कर रहे हैं, तो ध्यान रखना, बच्चे जिम्मेवार नहीं हैं, आप ही जिम्मेवार हैं। आपने मंदिर ऐसा बनाया जिसमें कोई बुनियाद नहीं है, जो मरा हआ है, जिसमें जिंदगी का कोई आधार नहीं है।
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