Book Title: Bharat ka Bhavishya
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Osho Rajnish

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Page 162
________________ भारत का भविष्य पुरानी जड़ों को आत्मसात करना होगा। पुरानी जड़ों को आत्मसात करने का अर्थ यह है कि भारत जो आज तक रहा है उस भारत के ऊपर ही नई कलमें लगनी चाहिए। उस पूरे भारत को इनकार कर देने से नई कलमें नहीं लगेंगी। हम सिर्फ उधार और पंग हो जाएंगे। हम जमीन पर भिखमंगे हो जाएंगे। पुराने आदमी के साथ खतरा यह है कि वह पुराने के लिए तो राजी है लेकिन नये अंकुर निकलें, नये फूल लगें, उनके लिए राजी नहीं हैं। नये आदमी के साथ खतरा यह है कि वह नये के लिए तो राजी है लेकिन पुरानी जड़ों को आत्मसात करने की उसकी जरा भी इच्छा नहीं है। वह इतना भयभीत है कि पुराने के साथ नया कैसे हो सकेगा? लेकिन ध्यान रहे, पुराने और नये में दुश्मनी नहीं है, पुराना ही नया होता है। पुराना और नया दो विरोधी चीजें नहीं हैं। पराना ही विकसित होता है और नया होता है। असल में जब एक आदमी बूढ़ा हो जाता है तो हमें दिखाई नहीं पड़ता कि यह बूढ़ा आदमी नया होगा, यह तो मर जाएगा। लेकिन वे जो नये बच्चे हमें दिखाई पड़ रहे हैं, वे इस बूढ़े की ही प्रतिमाएं हैं, प्रतिरूप हैं। यह बूढ़ा मरने के पहले नये बीज बो जाता है। असल में सब नये बच्चे पुराने बूढ़ों से पैदा होते हैं। सब नया पुराने से जन्म पाता है। पुराने और नये के बीच कोई दुश्मनी नहीं है। पुराने और नये के बीच बाप और बेटे का संबंध है। लेकिन बाप और बेटे के बीच ही कोई संबंध नहीं रह गया है। तो पुराने और नये के बीच कैसे संबंध रह पाए ? बाप और बेटा दो क्लासेज नहीं हैं, बाप और बेटा दो वर्ग नहीं हैं, बाप और बेटे के बीच कोई कांफ्लिक्ट, कोई संघर्ष नहीं है और अगर है तो उसका मतलब है कि बाप और बेटे के बीच बाप और बेटे का संबंध नहीं रहा है। बाप और बेटे के बीच एक प्रवाह है। असल में बेटा फिर से बाप को नये अर्थों में जगत में प्रवेश दे रहा है। अगर मैं इस जमीन पर संभव हो पाया हूं तो मेरे पीछे हजारों, लाखों वर्षों की यथार्थता है। अगर आप इस जमीन पर पैदा हो पाए हैं तो हजारों-हजारों पीढ़ियों ने आपको पैदा किया है। आप अपने पिता भी हैं, उनके पिता भी हैं, उनके पिता भी हैं, उनके पिता भी हैं, अपनी मां भी हैं, उनकी मां भी हैं, उनकी मां भी हैं, आप इन सबके साथ संचित हैं। असल में वे पुराने हो गए थे इसलिए उनका जो हिस्सा नया हो सकता था उसे छोड़ कर वे विदा हो गए हैं और वह नया हिस्सा जीवन को चला रहा है। पुराना ही रोज नया हो रहा है। और ध्यान रहे, नया ही रोज पुराना भी हो रहा है। कोई पुराना ऐसा नहीं है जो कभी नया न रहा हो और कोई नया ऐसा नहीं है जो कल पुराना नहीं हो जाएगा। इसलिए नये और पुराने के बीच दुश्मनी का खयाल खतरनाक है। नये और पुराने के बीच एक प्रवाह है, एक गति है, एक अंतसबंध है, एक यात्रा है, एक प्रोसेस है। असल में पुराना प्रारंभ बिंदु है, नया अंत बिंदु है। जैसे जन्म और मृत्यु आमतौर से दिखाई पड़ती हैं, दो चीजें हैं, लेकिन दो चीजें नहीं हैं। जन्म ही विकसित होते-होते मौत बन जाती है। और जो लोग जानते हैं वे कहेंगे मौत ही विकसित होते-होते फिर नया जन्म बन जाती है। तो पहली बात जो मैं आपसे कहना चाहता हूं, भारत अगर एक नया भारत होना चाहता है तो उसे बड़ा अदभुत काम करना है, उसे एक बड़ा बैंलेंसिंग एक्ट करना है, एक बड़ी संतुलन की व्यवस्था करनी है। कभी अगर रस्सी के ऊपर चलते हुए नट को देखा हो, तो भारत का भविष्य बिलकुल रस्सी के ऊपर चलते हुए नट जैसा Page 162 of 197 http://www.oshoworld.com

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