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भारत का भविष्य
अभी हैलसिलासी ने इथोपिया में एक अमेरिकन कमीशन बुलाया। क्योंकि इथोपिया में बहुत बीमारियां हैं और बहुत मृत्यु दर है। तो एक अमेरिकन मेडिकल कमीशन को बुला कर उसने जांच-पड़ताल करवाई। और फिर हैलसिलासी को उन्होंने अपनी रिपोर्ट दी और अपनी रिपोर्ट में उन्होंने कहा कि आपके मुल्क में जो पानी है वह रुग्ण है और आपके मुल्क में जो पानी पीने का जो ढंग है वह बीमारी फैलाने वाला है और आप गंदा पानी पीते हैं। इथोपिया में सड़कों के किनारे जो पानी भर जाता है और जानवर जिसमें घूमते रहते हैं, उस पानी को भी लोग पीने के काम में ले आते हैं। तो उस कमीशन ने कहा कि आप यह गंदगी और पानी को बदलने की कोशिश करें और शुद्ध पानी लोगों को पीने का इंतजाम कर दें, तो आपके मुल्क में बड़े पैमाने पर मृत्यु दर कम हो जाएगी। हैलसिलासी हंसा और उसने कहा कि मैंने आपकी बात सुन ली और समझ गया। लेकिन यह मैं कभी करूंगा नहीं। उस कमीशन के लोगों ने कहा, आप पागल हो गए हैं! आप कहते हैं यह आप कभी करेंगे नहीं ! हैलसिलासी ने कहा कि अगर मैं उनकी मृत्यु दर कम कर दूंगा तो फिर मुझे दीवालों पर लिखना पड़ेगा कि दो बच्चे होते हैं अच्छे ! और वे कोई मानेंगे नहीं।
हैलसिलासी की बात कठोर मालूम पड़ती है। लेकिन हिंदुस्तान में यही हो गया है। मैं आपसे यही कहना चाहता हूं कि या तो हिंदुस्तान के जवान तय करें कि हम पचास साल आने वाले पचास सालों में हिंदुस्तान की संख्या को वापस ले जाएंगे। और या फिर हमें हिंदुस्तान में बीमारियों को मुक्त छोड़ने के सिवाय कोई रास्ता नहीं रह जाएगा। फिर हमें महामारियां बुलानी पड़ेंगी, भगवान से प्रार्थना करनी पड़ेगी कि हैजा भेजो, प्लेग भेजो। हमें अस्पताल बंद करने पड़ेंगे। और हो सकता है कि हमें कंपलसरी बूढ़े आदमियों को मरने के लिए मजबूर करना पड़े। यह बात आज अजीब लगती है। लेकिन यह बीस साल में मजबूरी बन सकती है कि हमें तय करना पड़े। जैसे हम तय करते हैं कि अट्ठावन साल में हम रिटायर करेंगे, वैसे हमें तय करना पड़े कि साठ साल में हम बिलकुल रिटायर करेंगे। क्योंकि अब कोई उपाय नहीं है।
या तो बच्चे कम करिए या बूढ़े कम करने पड़ेंगे। या तो बर्थ कंट्रोल को कंपलसरी करिए, या तो हिंदुस्तान के जवानों को तय कर लेना चाहिए कि हम देर से शादी करेंगे, तय कर लेना चाहिए शादी के बाद जितने दूर तक बच्चे से बच सकेंगे बचेंगे, तय कर लेना चाहिए कि बच्चा नहीं होगा तो सबसे बेहतर। और यह भी हमें तय कर लेना चाहिए मुल्क को चिंतनपूर्वक कि हम बच्चों को जबरदस्ती नहीं रोकेंगे तो रुक नहीं सकते, हमें सख्ती से, कंपलसरी। कंपलसरी एजुकेशन नहीं होगी तो चल सकता है, लेकिन कंपलसरी बर्थ कंट्रोल नहीं होगा तो नहीं चल सकता है।
लेकिन हिंदुस्तान के बच्चों को इनसे कोई मतलब नहीं है। अभी भी बैंडबाजा बज जाता है, घर में दसवां बच्चा हो रहा है और बैंडबाजा बज रहा है। अजीब बातें हैं! अब तो कोई आदमी मरे तो चाहे बैंडबाजा बजाइए, लेकिन कोई आदमी पैदा हो तो बैंडबाजा मत बजाइए। हालतें बदल गई हैं। जिंदगी बहुत और दूसरी मुसीबत में है। अब मैं एक आदमी को अपने गांव में लिखते देखता था, वह यह बर्थ कंट्रोल का नारा लिखता फिरता है। वह लिखता रहता है दीवालों पर । बहुत अच्छे अक्षर हैं। एक दिन मैं गाड़ी रोक कर उसके पास रुका और मैंने कहा, तेरे अक्षर बहुत अच्छे हैं। तेरे खुद के कितने बच्चे हैं? उसने कहा, आपकी कृपा से सात बच्चे हैं, दो लड़कियां हैं और पांच लड़के हैं और अभी आठवां होने वाला है । और मैंने कहा, तू यह सब लिखता फिर रहा है दीवालों
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