Book Title: Bharat ka Bhavishya
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Osho Rajnish

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Page 107
________________ भारत का भविष्य यह बात सच है कि इररेशनेल एलिमेंट बहुत ज्यादा हैं। लेकिन इसको तोड़ने का कभी प्रयोग नहीं किया गया है। यह फ्रायड के बाद संभवतः इधर इन तीस-चालीस वर्षों में, इररेशनल एलिमेंट की स्वीकृति उपलब्ध हुई है, तोड़ने की तो बात अलग। वह है यही हमें खयाल नहीं था। साफ हुआ कि वह है। अब उसको तोड़ने का सवाल है। खुद फ्रायड अपने जीवन में इररेशनल एलिमेंट नहीं तोड़ सकता। मगर उसने खोज तो की है। वह भी जरा अगर उसकी बात का आप खंडन कर दो तो गर्दन पकड़ ले आपकी। इतना गुस्सा हो जाता था कि बेहोश हो जाए गुस्से में, विवाद करने में। अगर आपसे विवाद हो जाए तो वह पिंच कर जाए। मगर इसके व्यक्तित्व में तो बात नहीं है कुछ खास, लेकिन इसने जो खोज की है वह तो मूल्यवान है। उस मूल्य को तो हम स्वीकार कर लिए हैं. असली इररेशनल एलिमेंट है। अब इस इररेशनल एलिमेंट को कैसे नष्ट करना है? उसके प्रयोग की...। (प्रश्न का ध्वनि-मुद्रण स्पष्ट नहीं।) हां, मेरे सेक्स के बाबत मेरी पहली दृष्टि तो यह है कि अब तक हम मनुष्य को सेक्स के संबंध में छिपा कर, दमन करके, उसकी बात न करके, रोकने की कोशिश करते रहे हैं। जैसे सेक्स है ही नहीं हमने एक ऐसी सामाजिक भूमिका बना ली, जैसे सेक्स जैसी कोई चीज है ही नहीं। वह है ही नहीं कहीं। वह है चौबीस घंटे। लेकिन समाज के तल पर लाजिक की बात है—न अभिव्यक्ति है, न विचार है। तो इस भांति हमने मनुष्य को सेक्स से मुक्त होने में सहयोग नहीं पहुंचाया, बल्कि उसको गहरे से गहरा सेक्सुअल होने में सहयोग पहुंचाया। जीवन में जितने सत्य हमें स्पष्ट हो जाएं, हम उनको फेस करने में, सामना करने में, बदलने में या उनको जीने में समर्थ होते हैं। जितने सत्य जीवन के अंधेरे में खड़े किए जाएं, उतने हम उनसे सामना करने में असमर्थ होते हैं। आदमी सेक्स के मुकाबले सबसे कमजोर हो गया। क्योंकि सेक्स को हमने सबसे ज्यादा अंधेरे में डाल दिया। तो मेरी मान्यता यह है कि सेक्स को हमें प्रकाश में लाना होगा। उसकी पूरी शिक्षा देनी होगी। उसकी खुली बात करनी होगी। उसके बाबत जो एक टैबू है भय का कि उसकी बात ही नहीं करनी, वह टैबू नष्ट कर देना होगा। और जितने ज्यादा सेक्स को हम सामान्य और साधारण स्वीकार कर सकेंगे, उतना हम समाज को सेक्सुअलिटी से बचा सकेंगे। क्योंकि सेक्सुअलिटी जो है, कामुकता जो है, वह काम के दमन से पैदा हुआ परिणाम है। इधर हम दबाते हैं वह फिर गलत रास्तों से निकलना शुरू होता है। वह निकलेगा कहीं से। और जब वह गलत रास्तों से निकलता है तो वह ठीक रास्तों के बजाए ज्यादा खतरनाक हो जाता है। यानी बजाए इसके कि एक लड़का एक लड़की को प्रेम करे यह समझ में आने वाली बात है, लेकिन एक लड़का और एक लड़के में सेक्सुअल संबंध हो जाए, यह समझ में आने में जरा मुश्किल मामला हो गया। लेकिन जब हम लड़के और लड़कियों को रोकेंगे, तो लड़कों और लड़कों में होमोसेक्सुअलिटी पैदा होने का हम उपाय करते हैं। लड़के और लड़कियों के हॉस्टल अलग बनाएंगे, और लड़कों को एक हॉस्टल में भर देंगे और लडकियां को एक हॉस्टल में, तो हम होमोसेक्सअलिटी पैदा करने के उपाय करते हैं। और यह Page 107 of 197 http://www.oshoworld.com

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