Book Title: Bharat ka Bhavishya
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Osho Rajnish

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Page 109
________________ भारत का भविष्य यानी मेरा कहना यह है कि ब्रह्मचर्य से ध्यान उपलब्ध नहीं होता, ध्यान से ब्रह्मचर्य उपलब्ध होता है । और यह इसीलिए उपलब्ध होता है कि ध्यान की और सेक्स की अनुभूति कहीं समान है। नहीं तो उपलब्ध होने का सवाल ही नहीं है। अगर मैं आपके घर आता हूं बैलगाड़ी में बैठ कर, और छह घंटे लगते हैं और हड्डी -पसली टूट जाती है, और कल मुझे कार में बैठ कर आने मिलता है आपके घर, पांच मिनट में पहुंच जाता हूं, न हड्डी-पसली टूटती है, न परेशानी होती है। तो मेरा कहना यह है कि मैं कार बदल लूंगा बैलगाड़ी की जगह, और बदलूंगा सिर्फ इसलिए कि कार और बैलगाड़ी में कोई बुनियादी समानता है, वे दोनों पहुंचाते हैं । नहीं तो बदलने का कोई सवाल ही नहीं उठता। अगर वे दोनों अलग चीजें हैं तो बदलने का कोई सवाल नहीं उठता। मैं बैलगाड़ी की जगह क ग्रहण कर लूंगा, कल हवाई जहाज होगी तो उसको ग्रहण कर लूंगा। क्योंकि दोनों काम करते हैं। पहला जो काम था वह बहुत ही प्रिमिटिव है। यानी मेरा कहना यह है कि संभोग का जो अनुभव है वह अत्यंत प्राथमिक है, समाधि का जो अनुभव है वह उच्चतम है। लेकिन उन दोनों अनुभव के बीच एक बुनियादी समानता है, इसीलिए ट्रांसफार्मेशन हो सकता है, नहीं तो ट्रांसफार्मेशन नहीं हो सकता। अब उस बात को उन्होंने क्या ले लिया कि मैंने कहा है कि ये दोनों एक ही चीज हैं। अब पत्रकारों के साथ मैं बड़ी मुसीबत में पड़ा हुआ हूं, क्योंकि वे क्या मतलब निकाल लेंगे और क्या शक्ल दे देंगे, तो कठिनाई हो जाती है। (प्रश्न का ध्वनिमुद्रण स्पष्ट नहीं।) नहीं, उसका कारण है, नहीं तो सभी बात पर पूर्ण जवाब मेनसन करेंगे। मेरा कहना है कि रेप का जो वह सेक्स का भी अनुभव नहीं है । मेरा कहना यह है कि रेप... | . रेप इज नॉट एन्जायमेंट | इसको बात को समझ लें, इसको थोड़ा समझ लें, इसको थोड़ा समझ लें। इस पर सारी मेरी दृष्टि है। यानी मेरा कहना है कि जो आदमी जबरदस्ती किसी के साथ व्यभिचार कर रहा है, वह जबरदस्ती और वायलेंस उस हार्मनी को पैदा ही नहीं होने देते जहां कि वह जिसको मैं कह रहा हूं ध्यान का जैसा समान अनुभव हो सकता है वह पैदा हो जाए। तो रेप जो है वह मेरी दृष्टि में मास्टरबेशंस से ज्यादा नहीं है, मेरी दृष्टि में। इसको फर्क करता हूं। यानी वह सिर्फ वीर्यपात है। और इतने टेंशन में वह किया गया है और इतनी परेशानी में और इतनी जबरदस्ती में कि सिर्फ शरीर हलका हो गया। कहीं कोई भीतर कोई अनुभव नहीं हुआ। मेरा जो... (प्रश्न का ध्वनिमुद्रण स्पष्ट नहीं।) Page 109 of 197 अनुभव है http://www.oshoworld.com

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