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भारत का भविष्य
है खाने के बाबत | वह कैसे सो रहा है इसका भी बोध नहीं है। हमारी चेष्टा यह रही है कि अगर एक नंगे तख्त पर आदमी सोता है तो वह ज्यादा ऊंचा काम कर रहा है। इसकी हमें कोई फिक्र नहीं कि नंगा तख्त उसके स्वास्थ्य में वर्धक होगा कि नुकसानदायक होगा। इसका हमें कोई विचार नहीं है ।
हम क्या खा रहे हैं इसका विचार नहीं है। कम जो खाता है, सस्ते से सस्ता जो खाता है, वह कोई ऊंचा काम कर रहा है। उपवास जो करता है वह खाने वाले से भी ऊंचा काम कर रहा है। कपड़े पहनने वाला आदमी गलती कर रहा है, नंगा जो बैठा हुआ है चाहे कितनी भी तकलीफ झेल रहा हो, वह ऊंचा काम कर रहा है। हमारी जो बेसिक दृष्टि है शरीर - विरोधी होने की वजह से... डिफिशिएंसी रह गई, डिफिशिएंसी हम कभी भी पूरा कर लेते। मजे की बात यह है कि हिंदुस्तान में सबसे पहले शरीर के बाबत जानकारियां प्राप्त कर ली थीं। जो कि पश्चिम ने अभी तीन सौ वर्षों में प्राप्त कीं। और फिर भी हम कुछ भी नहीं कर पाए। नहीं करने का कारण है। जब एक दफा अभिनय...
अमेजान में एक कबीला रहता है दक्षिण अमरीका में। तो उस कबीले की हजारों साल की ट्रेनिंग यह रही है कि कोई भी आदमी अपने खेत पर काम नहीं करेगा। सारा गांव एक आदमी के खेत पर काम करेगा। अपने खेत पर काम करना बुरा मानते हैं वे । जब तक कि सब लोग काम करने न आएं। और दूसरे के खेत पर काम करने को अच्छा मानते हैं। एक भाई-चारे के लिए। लेकिन वह कबीले के जो खेत हैं, छोटे-छोटे टुकड़े और दूर-दूर पहाड़ियों पर हैं। तो सारे गांव को दूर-दूर की यात्रा करनी पड़ती है काम के लिए। और परिणाम यह हुआ है कि उनके बगल का कबीला सुखी और संपन्न है।
उनके पास भी उतने-उतने दूर खेत हैं, लेकिन वे अपने-अपने खेत पर काम करते हैं। यह कबीला भूखा मर रहा है हजारों साल से। लेकिन वह जो उसकी धारणा है कि अपने खेत पर काम करना स्वार्थपूर्ण है दूसरे के खेत पर काम करना ही सामाजिक बात है, अच्छी बात है, वही धार्मिक कृत्य है । वे गरीब रहे। दोनों कबीले एक तरह की जमीन पर रहते हैं, एक तरह के लोग हैं। एक कबीला भूखा मर रहा है हजारों साल से, दूसरा कबीला संपन्न है। लेकिन वह कबीला भूखा मर रहा है। और उसका कुल कारण इतना है कि वह उसकी बेसिक दृष्टि में बुनियादी भेद है।
हाउ मैनी डिस्ट्रीब्यूट गांधी एंड गांधीइज्म...। गांधीइज्म... व्हेरी गुड वर्डस अबाउट गांधी। आई थिंक, गांधी एंड गांधीइज्म दे केन नॉट बी सेपरेट।
हां-हां, वे बिलकुल सेपरेट किए जा सकते हैं इस तरह । इसलिए कहता हूं, गांधी की नैतिकता, गांधी का गांधी का व्यक्तित्व, उनकी नींव, उनकी चेष्टा, वह सब अदभुत है और प्रीतिकर है। लेकिन गांधी...
आचरण,
एज ए ह्यूमन बीइंग |
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