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वर्तमान सदी के जिन धुरंधर आचार्यों ने जैन धर्म की उन्नत और गौरवशाली बनाया उनमें आचार्य श्रीमद् विजय वल्लभ सरीश्वर जी म.सा. का नाम सदा अमर, अशेष और अविस्मरणीय रहेगा। उनका जीवन, कार्य और व्यक्तित्व, सर्वजन हिताय और सर्वजन सुखाय था।
महापुरुष जब तक जीवित रहते हैं तब तक तो अपने विशिष्ट गुणों, अनुकरणीय कृत्यों से प्रख्यात रहते ही हैं किन्तु उसके बाद भी उनके द्वारा दिखाया गया मार्ग एक आदर्श मार्ग बन जाता है उनके जीवन की प्रत्येक घटना किंवदन्ती बन जाती है, उनके जीवन का प्रत्येक दिन एक इतिहास बन जाता है। उन्हीं गुरुदेव की पनीत स्मृति में नवनिर्मित अन्तर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त विजय वल्लभ स्मारक गुरुदेव के जीवन की हर घटना को ताजा कर दे रहा है। यहाँ ऐसे ही प्रसंगों का संकलन है जिनसे गुरुदेव के व्यक्तित्व को समझने में सुलभता होगी।
चित्र : सुमंत शाह
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