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रोशनी और हवा के लिये 4-0" फुट मोटी पत्थरों की सीढी का निर्माण किया गया है जो भवन को भव्यता प्रदान करती पिलरों,बीमों और छत की कारीगरी दर्शकों को 1000 वर्ष पहले दिवाल में 22 खिड़कियाँ और 24 झरोखे रखे गये हैं। तलघर के है। प्रवेश मंडल में अत्यन्त आर्कषक कारीगरी के 12 पिलरों पर ही जैन शिल्प कला का दिगदर्शन कराती है। छतों की डिजाइनों चारों कोने में 20-00 x 20-0" के चार कक्षों का निर्माण किया 20-5" व्यास का जैन शिल्प की प्रसिद्धि "कोल-काचला" की में विविधता हैं जो अनायास ही चिन्न को आकर्षित करती है। गया है। फ्लोरिंग कोटा स्टोन से की गई है।
डिजाइन वाले डोम का निर्माण किया गया है जो आबु के दिलवाड़ा उत्तर भारत में बेजोड़ इस भवन के मध्य में 64-0 फुट व्यास मंदिरों की याद दिलाता है।
के भव्य रंगमंडप का निर्माण किया गया है जिसका शिखर 84-0 मुख्य भवन
भवन में प्रवेश के लिये उत्तर और दक्षिण दिशाओं से भी दो फुट की ऊँचाई पर है। मुख्य डोम 2-0* व्यास के 26 पिलर और
द्वारों का निर्माण किया गया है। जिसके लिये 13-67 चौड़ी 0-90 मोटी पत्थर की दीवाल पर निर्मित किया गया है। भवन बेसमेन्ट के ऊपर मुख्य भवन का निर्माण तीव्र गति से चल । सीढ़ियाँ बनाई गई है। इन दोनों मंडपों में 4 चोरस और 8 अष्ट तल के 19-0" फुट ऊँचाई पर 5-6° चौड़ी कलात्मक गैलरी का रहा है और प्रतिष्ठा से पहले ही डोम का निर्माण पूरा करने के लिये
पहल वाले पिलरों पर और पत्थर की छत में भी आकर्षक और निर्माण किया गया है जिस पर प्रेक्षकों के बैठने की सुविधा होगी। प्रयत्नशील हैं।
सुंदर कारीगरी की गई है। पूर्व, उत्तर और दक्षिण दिशा के प्रवेश गैलरी के ब्रेकेट, भेटासरा और भटनी की कारीगरी अत्यन्त भवन की प्लीन्थ 11-32 ऊँचाई पर है और पूर्व की तरफ मंडपों में तीन-तीन द्वार रखे गये हैं जिनकी शाखों पर सुंदर बेले चित्राकर्षक है। भवन में हवा तथा रोशनी के लिये प्रवेशद्वारों के मुख्य प्रवेशद्वार के लिय सुविधाजनक 25 फुट चौड़ी 29 स्टेपबाली खुदी हुई हैं। वस्तुतः मुख्य रंग मंडप में पहुँचने से पहले ही उपरान्त डोम में 45 खिड़कियां रखी गई हैं।
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