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श्री आत्मानन्द जैन सभा दिल्ली
-सुदर्शनलाल जैन
भारत के विभाजन के पश्चात् पाकिस्तान के भिन्न-भिन्न मंदिर जैन कला एवं स्थापत्य के आधार पर बनाया गया है। वहाँ कस्तूर भाई लाल भाई के करकमलों द्वारा हुआ था। स्थानों से आये हए व्यक्तियों ने अपने व्यवसाय दिल्ली में स्थापित पहुंचकर और भगवान श्री शांतिनाथ के दर्शन करके मन प्रसन्न श्री आत्मवल्लभ जैन भवन रूप नगर श्री आत्मानन्द जैन किए और जैसे-जैसे इसमें वृद्धि होती गई उन्होंने अपने आपको और कृत कृत्य हो जाता है।
सभा दिल्ली के तत्वावधान में बना, जिसका शिलान्यास 27-1सामाजिक रूप में भी संगठित होने की आवश्यकता को महसूस
मंदिर जी का भूमिपूजन स्व० श्री चन्दूलाल जी संखत्रा वालों 66 को स्व० श्री कुन्दन शाह जी के करकमलों द्वारा हुआ। निर्माण किया। इसी कारण लगभग 1950 में श्री आत्मानन्द जैन सभा ने किया तथा शिलान्यास श्रीमती माया देवी धर्म पत्नी स्व० श्री कार्य को शीघ्र पूर्ण किया और से उद्घाटन 19-5-67 को हुआ दिल्ली की स्थापना हुई। प्रारम्भ में इसके अन्तर्गत सभाएं, भजन, पन्ना लाल जी कसूर वाले मालिक फर्म पी०एलजे० एण्ड जिससे पूर्व श्री अर्हत् महापूजन एवं श्री सिद्ध चक्र महापूजन का कीर्तन समारोह होते रहे। कम्पनी द्वारा सम्पन्न हुआ।
आयोजन बड़ी धूम-धाम से श्री जयन्ती लाल आत्माराम कुछ परिवारों ने रूप नगर तथा इसके आस-पास दिल्ली के _ पहले विचार किया गया था कि मंदिर जी तथा उपाश्रय एक अहमदाबाद वालों द्वारा करवाया गया और उसी दिन शुभ मुहूर्त उपनगरों में अपने निजी निवास स्थान बना लिये और वहाँ पर ही भवन में ऊपर नीचे बना लिया जाए परन्त निर्माणकार्य के में श्री श्री 1008 आचार्य श्री विजय सूरीश्वर जी महाराज का धर्म-चर्चा तथा समारोह आदि होने लगे। अपने तथा परिवारजनों मध्य रूपनगर क्षेत्र में मूर्ति पूजक जैन परिवारों की बढ़ती हई प्रवेश भी इस भवन में करवाया गया। में धर्मभावना विद्यमान रहे, इसके लिये श्री मंदिर जी का निकट संख्या को देखते हुए पुनः विचार किया गया कि उपाश्रय के लिए श्री आत्मानन्द जैन सभा दिल्ली का उत्तर भारत में अपना होना अति आवश्यक समझा जाने लगा। अतः मंदिर जी की अलग से भूमि खरीद ली जाये। 1960 में श्री आत्मानंद जैन सभा एक महत्वपूर्ण स्थान है जिसके कारण सभा के सदस्यों का आपसी स्थापना की भावना बढ़ती गई जिसके फलस्वरूप 1957 में के अन्तर्गत रूपनगर मंदिर जी के सामने भूमि खरीद ली गई। प्रेम तथा श्रद्धा है, वयोवृद्धों के प्रति आदर तथा मन की भावना है, रूपनगर में श्री आत्मानन्द जैन सभा के अन्तर्गत भूमि खरीदी निर्माण कार्य के साथ-साथ धार्मिक कार्यक्रम-संक्राति अपने गुरुजनों के प्रति पूर्ण विनयभाव है। गई।
सम्मेलन, साध साध्वियों के चातुर्मास तथा पर्व पर्दूषणों के मनाने दिल्ली सभा के अन्तर्गत कार्यों को सुचारु रूप से चलाने के तदनन्तर श्री आत्मानन्द श्री सभा की गतिविधियाँ बढ़ती के आयोजन चालू हो गये थे। श्रीसंघ की उत्कृष्ट भावना को ध्यान लिये नियम निश्चित होते रहते हैं और उनका पालन ठीक ढंग से गई। मंदिर जी के निर्माण हेत कई प्रकार के आयोजन चालू हो में रखते हुए अम्बाला शहर जैन मंदिर से श्री शांतिनाथ भगवान हो इसकी व्यवस्था भी की जाती है। सभा का वार्षिक उत्सव हर गये। बम्बई, अहमदाबाद आदि बड़े-बड़े नगरों में जाकर की धातु की प्रतिष्ठित मूर्ति लाकर दैनिक पूजा सेवा के लिये मंदिर वर्ष मनाया जाता है जिसका दिन काफी वर्षों से दो अक्तूबर सलाहमश्वरे किये गये। श्री आनन्द जी कल्याण जी पेढ़ी से भी जी की निचली मंजिल में जो बनकर तैयार थी, विराजमान कर दी निश्चित है। उसी दिन नई कार्यकारिणी का चनाव आम सभा में पत्र व्यवहार किया गया और नक्शे आदि बनवाये गये। सेठ गई।
किया जाता है। बड़े हर्ष का विषय है कि चुनाव प्रायः सर्वसम्मति कस्तूर भाई लाल भाई तथा अन्य गण्य मान्य व्यक्तियों के साथ श्री मंदिर जी की प्रतिष्ठा तथा अंजनशलाका का कार्य 27-1- से ही सम्पन्न होते हैं। कभी मतदान करने का अवसर आया हो संपर्क किया गया जिसमें सभा के सभी सदस्यों ने अपनी-अपनी 1961 को विधिविधान पर्वक शांत मूर्ति जैनाचार्य श्री मद् विजयं ऐसी याद नहीं पड़ता। इसी प्रकार कार्यकारिणी के सदस्यों का क्षमता के अनुसार तन-मन-धन से सहयोग दिया।
समुद्र सूरि जी महाराज के करकमलों से संपन्न हुआ। शिखर पर निर्वाचन भी एक मत से करने का प्रयत्न किया जाता है। हर रूप नगर मंदिर में मूलनायक के रूप में श्री शांति नाथ ध्वज दण्ड लाला रत्न चंद रिखब दास जी ने चढ़ाया और सुवर्ण प्रकार के उत्सव तथा समारोह उत्साहपूर्वक मनाये जाते हैं जिससे भगवान् की मूर्ति की स्थापना का निश्चय हुआ जिससे इस मंदिर कलश सेठ राम लाल नगीन दास (कपड़वंज निवासी) हाल बम्बई उल्लास की वृद्धि होती है। श्री आत्मानन्द जैन महासभा को भी का नाम श्री शांतिनाथ जैन श्वेताम्बर मंदिर रखा गया। इसका ने चढ़ाया। लाला दीनानाथ देवराज परिवार दिल्ली ने भगवान् को दिल्ली सभा का हर प्रकार से पूर्ण सहयोग तथासमर्थनरहा है। श्री निर्माण महान शिल्पी श्री अमृत भाई जी की देख-रेख में हुआ। गादी पर विराजमान किया। मंदिर जी का द्वार उद्घाटन सेठ श्री आनन्द जी कल्याण जी पेढ़ी ने भी दिल्ली श्रीसंघ का एक in Education International
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