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वल्लभ स्मारक के लिए सर्वस्व समर्पित करने वाली महत्तरा साध्वी श्री मृगावती श्री जी महा. बहुत दूर की सोचते थे विजय वल्लभ स्मारक में आने वाले साधकों, आराधकों, स्नातकों एवं विद्वानों के लिए इस जंगल में भोजन की समुचित व्यवस्था करवाने के लिए उन्होंने भोजनशाला की योजना बनाई तथा श्री आत्म वल्लभ स्मारक भोजनालय ट्रस्ट के स्थापना करवाई। उनकी प्रेरणा एवं निश्रा में मई 1984 में अपने पूज्य माता पिता की स्मृति में सर्वश्री शशिकान्त, रविकान्त एवं नरेश कुमार ने सराहनीय सहयोग देकर श्री वल्लभ स्मारक भोजनालय का उद्घाटन किया। जैसे सभी तीर्थों में भोजनशाला चलती है वैसे ही पू. सध्वी जी महा. की प्रेरणा से भोजन की कायमी तिथियां पूर्ण हो चुकी हैं और नाश्ते की पूर्ण होने वाली हैं। आपकी ही प्रेरणा से सेठ 1" श्री ताराचंदजी भंसाली, कोचीन ने आयम्बिल खाते में भी काफी अच्छा अनुदान दिया है।
श्री वल्लभ स्मारक हाईवे पर होने के कारण आने जाने वाले यात्रियों का यहां तांता लगा रहता है। चारों सम्प्रदाय स्थानकवासी, तेरापंथ, दिगम्बर श्वेताम्बर मूर्तिपूजक, खरतरगच्छ, म. पू. आचार्य सागरानन्द सुरि महा. प.पू. आ.
"वल्लभ स्मारक" भोजनशाला
- कृष्ण कुमार
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वैयावच्च भक्तिभाव से की जाती है। इस भोजनालय के अध्यक्ष रामचन्द्र सूरिजी महा. के तथा तीन हुई वाले सभी साधु सन्तों की श्री लाला कृष्ण कुमार जी (के. के. रब्बर वाले), श्री नरेन्द्र कुमार जी, शास्त्री नगर, विशेष कर सेवाभावी श्री शांति लालजी खिलौने वाले सबकी सेवा में सदा तत्पर रहते हैं। बी. एल इन्स्टीटयूट ऑफ इन्डोलोजी में जब भी विद्धानों के सैमिनार होते हैं, भोजनालय की ओर से "श्री आत्म वल्लभ जैन महिला मंडल रूप नगर" स्वयं भक्तिभाव से उनका आतिथ्य सत्कार करके अपने को गौरवान्वित अनुभव करता है। पंजाब से विजय वल्लभ दीक्षा शताब्दि स्पेशल ट्रेन मद्रास से जनवरी में श्री सम्मेत शिखर शत्रुज्य फलवृद्धि पार्श्वनाथ जैन यात्रा संघ आदि प्रतिवर्ष अनेक स्पैशल ट्रेनों का यहां पदापर्ण होता रहता है। पंजाब से पट्टी, जीरा, जण्डियाला, नकोदर, जालन्धर, अमृतसर, पटियाला, समाना, सुनाम, राजकोट, मालेरकोटला, होशियारपुर, लुधियाना, अम्बाला, चंडीगढ़, आदि से क्षमापनार्थ अनेकों यात्रा संघ इस भोजनालय को लाभान्वित करते रहते हैं। हर महीने माता पदमावती की पूजा अर्चना हेतु वदी दसमी, सक्रान्ति महोत्सव, कार्तिक पूनम तथा वार्षिक पोषदसमी के मेले की भोजन व्यस्था इसी भोजनालय द्वारा ही की जाती है। गुरु महा की जन्म जयंतियों के दिनों एवं पुण्यतिथियों तथा अन्य जनकल्याण के कार्यों में यह भोजनालय पूरा पूरा सहयोग देता है। सेवा, साधना और समपर्ण की साक्षात मूर्ति साध्वी श्री सृज्येष्ठा श्री महा की हमेशा यही शिक्षा रहती थी। सबकी सेवा हृदय से करो। उनकी शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए भोजनशाला के कर्मचारी भी सभी भक्तिभाव से सेवा करके पुण्य उपार्जन करते हैं। इस प्रकार वल्लभ स्मारक भोजनालय साधकों, अराधकों, स्नातकों, विद्वानों एवं श्री संघों की सेवा में सेवारत है।
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