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अयन
पिहेषणा कर्मप्रवादपूर्व
क्षेत्रवीर्य, कालवीय, भववीर्य, और तपवीर्य, रूप सामर्थ्य का 13. क्रियाविशाल पूर्व वाक्शुद्धि सत्यप्रवाद पूर्व वर्णन करता है।
क्रियाविशाल पूर्व नृत्य, गीत, लक्षण, छन्द, अलंकार शेष अध्ययन प्रत्याख्यान पूर्व 4. अस्तिनास्तिप्रवादपूर्व
तथा नपुंसक स्त्री और पुरुष के लक्षणों का वर्णन करता है। 3. दशाश्रुतस्कन्ध कल्प और व्यवहार प्रत्याख्यान पूर्व पर अस्तिनास्तिप्रवाद पूर्व जीव और अजीव के अस्तित्व 14. लोकबिंदुसार पूर्व आधारित हैं। और नास्तित्वका वर्णन करता हैं।
लोकबिन्दुसार पूर्व परिकर्म, व्यवहार, रज्जराशि, कला, 4. उत्तराध्ययन का परिषह अध्ययन कर्मप्रवाद पूर्व पर 5. ज्ञानप्रबाद पूर्व
सवण्ण, गणकार, वर्ग, धन बीजगणित तथा मोक्ष के स्वरूप का आधारित हैं।
ज्ञानप्रवाद पूर्व पाँच ज्ञानों तथा तीन अज्ञानों का वर्णन वर्णन करता है। अन्यत्र उपलब्ध इस प्रकार की समस्त सूचनाएँ अध्ययन करता है।
यह विवरण एक प्रकार से मूल विषय का स्थूल शीर्षक रूप की दृष्टि से पर्याप्त लाभदायक सिद्ध हो सकती हैं। 6. सत्यप्रवाद पूर्व
है। दिगम्बर और श्वेताम्बर ग्रन्थों में प्रत्येक पूर्व के विषयों की दिगम्बर परम्परा में उपलब्ध प्राचीन प्राकृत ग्रन्थों का ___सत्यप्रवाद पूर्व सत्य का सभी भेदों और प्रतिपक्षों सहित सूची पर्याप्त विस्तार के साथ दी गयी है। उससे यह भी ज्ञात होता आधार बारहवाँ अंग माना जाता है। कसायपाहुड तथा वर्णन करता है।
है कि किस विषय से सम्बद्ध और विशेष सामग्री किस पर्व के षट्खंडागम के आधार का उनमें उल्लेख किया गया है। 7. आत्मप्रवाद पूर्व
अन्तर्गत रही होगी। कसायपाहड का आधार ज्ञानप्रवाद नामक पांचवे पूर्व की दशमी आत्मप्रवाद पूर्व आत्मा का वर्णन करता है।
उपर्युक्त विवरण को देखने पर जैन विद्या का अध्येता सहज वस्तु का तीसरा पेज्ज पाहुड है। षट्खंडागम का आधार द्वितीय 8. कर्मप्रवाद पूर्व
रूप में समझ सकता है कि उक्त विषयों में से अधिकांश विषयों से अग्रायणीय पूर्व की पंचम वस्तु का चतुर्थ पाहुड है।
कर्मप्रवाद पूर्व कर्म का वर्णन करता है।
सम्बद्ध सामग्री उपलब्ध ग्रन्थों में भी पर्याप्त मात्रा में प्राप्त होती कसायपाहुड को जयधवला तथा षट्खंडागम को धवला 9. प्रत्याख्यान पूर्व
है। विशेषकर तत्वज्ञान, कर्मसिद्धान्त तथा आचार शास्त्र टीका में चौदह पूर्वो के परिमाण और विषय वस्तु का विस्तृत प्रत्याख्यान पूर्व प्रत्याख्यान का वर्णन करता है। विषयक सामग्री उपलब्ध ग्रन्थों में संकलित है। निःसंदेह विवरण दिया गया है। अकलंक कृत तत्वार्थवार्तिक तथा 10. विद्यान प्रवाद पूर्व
लोकविज्ञान, जीवविज्ञान, भौतिकविज्ञान, मन्त्र तन्त्रविद्या आदि गोम्मटसार जीवकाण्ड को तत्वप्रबोधनी टीका में भी समान विद्यानुप्रवाद पूर्व अंगुष्ठप्रसेना आदि अल्पविद्याओं तथा अनेक विषय ऐसे हैं, जिनके विषय में सामग्री अत्यल्प है। कतिपय विवरण निबद्ध है।
रोहिणी आदि महाविद्याओं का वर्णन करता है। उल्लिखित विषयों में सम्बद्ध सामग्री बौद्ध तथा अन्य परम्पराओं उपर्युक्त सामग्री के आधार पर चौदहपूर्वो को विषय वस्तु का 11. कल्याणप्रवाद पूर्व
में उपलब्ध है। प्रारम्भिक विवरण निम्न प्रकार तैयार किया जा सकता है:- ___ कल्याणप्रवाद पूर्व सूर्य, चन्द्र, नक्षत्र, तथा तारागण के इस दिशा में अध्ययन को आगे बढ़ाने के लिए यह आवश्यक 1. उत्पादपूर्व में जीव, काल और बुद्धल के उत्पाद, व्यय और चारक्षेत्र और अष्टांग महानिमित्त का तथा तीर्थकर, है कि वर्तमान दिगम्बर तथा श्वेताम्बर साहित्य का समग्रता में धौव्य का वर्णन किया जाता है।
चक्रवर्ती, बलदेव, वासुदेव, चक्रधर आदि के महाकल्याणों अनुशीलन किया जाये तथा अध्ययन से प्राप्त तथ्यों का 2. अग्रायणी पूर्व
का वर्णन करता है।
समसामायिक साहित्य एवं अन्य अनुसन्धान सामग्री के आलोक अग्रायणी पूर्व सुनय, दर्नय, पंचास्तिकाय, षड्द्रव्य, 12. प्राणवायप्रवाद पूर्व
में पूर्वाग्रह मुक्त होकर परीक्षण किया जाये। ऐसे सप्ततत्व तथा नव पदार्थ रूप द्वादशांग की अग्र-प्रधान प्राणवायप्रवाद पूर्व प्राणों की हानि-वृद्धि का वर्णन करता अध्ययन-अनुसन्धान से ज्ञान-विज्ञान की अनेक विद्याओं को नया वस्तु का वर्णन करता है।
है। इसमें कायचिकित्सा आदि अष्टांग आयुर्वेद, भूतिकर्म, आलोक मिलेगा। भारतीय मनीषा की उपलब्धियों का यह 3. बीर्यानुप्रवाद पूर्व
जांगगलि प्रक्रम तथा प्राणधान विमान का वर्णन किया जाता सामायिक मूल्यांकन लोक कल्याण के लिए एक दिव्य वरदान वीर्यानप्रवाद पूर्व आत्मवीर्य, परवीर्य, उभयवीर्य,
सिद्ध होगा।
आपका धर्म मैं आप लोगों से पूछता हूं-"आपका धर्म क्या है?" क्या जैन, वैष्णव, बौद्ध, ईसाई, इस्लाम आदि आपके धर्म हैं? नहीं। ये आपके धर्म नहीं। आपका धर्म वही है जो आत्मा को पतन से बचाये।
-विजय वल्लभ सरि
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