Book Title: Atmavallabh
Author(s): Jagatchandravijay, Nityanandvijay
Publisher: Atmavallabh Sanskruti Mandir

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Page 233
________________ विचार से महत्तरा जी ने देश के सभी प्रमुख नगरों से ट्रस्टियों का मंदिर का भूमि पूजन हुआ और अगले दिन दिनांक 19 जनवरी का निरीक्षण कर उन्होंने कार्य की प्रशंसा की एवं श्रीसंघ को चयन किया। सर्वश्री जे.आर. शाह बम्बई, दीप चंद जी गाड़ी 1984 को श्री छोटे लाल जैन शाहदरा निवासी के कर कमलों से कार्य हेतु विशेष प्रेरणा दी और स्वयं भी बल्लभ स्मारक मिशन बम्बई, माणेकचंद जी बोताला मद्रास तथा श्रेणिक कस्तूरभाई जी माता जी के मंदिर की आधारशिला रखी गई। इसका निर्माण को आगे बढ़ाने का संकल्प किया। मकर सक्रांति के पश्चात वे साग्रह स्मारक के संरक्षक बनाये गये। शनैः शनैः इंगलैंण्ड काम तीव्र गति से दिन-रात चलने लगा। माता जी की एक सन्दर विहार कर गजरात की ओर चले गए। अमरीका तथा जापान से भी एक-एक ट्रस्टी की नियुक्ति की गई। प्रतिमा बनाने के लिए जयपुर के सुप्रसिद्ध मूर्तिकार गणेश देश और विदेश से आने वाले गवेषकों तथा दर्शनार्थियों के कर्मठ कार्यकर्ता श्री कान्ति लाल कोरा को विधि के कार्य हेतु दूसरा नारायण जी को आर्डर दे दिया गया। श्री शान्ति लाल जी खिलौने निवास और भोजनादि की समचित व्यवस्था करने हेतु भी चिन्तन मंत्री नियुक्त किया गया। वाले भी इस मैदान में कूद पड़े और निर्माण कार्य में तन मन से जुट होने लगा। इस कार्य के लिए होस्टल ब्लाक का प्रयोग ही उचित विजय वल्लभ स्मारक का निर्माण कार्य सुचारू रूप से चलाने गए। माना गया और उसके भीतर एक भोजनशाला चलाने का भी के लिये धन की आवश्यकता बढ़ने लगी। महत्तरा जी की प्रेरणा स्मारक निधि के तत्वावधान में प्रातन ग्रन्थ भंडार और निर्णय लिया गया। "श्री वल्लभ स्मारक भोजनालय ट्रस्ट" की से दिल्ली, पंजाब, बंबई, अहमदाबाद, मद्रास, बंगलौर आदि पुस्तकालय के सुचारू संरक्षण, पंजीकरण, तथा वर्गीकरण का स्थापना की गई और श्री कृष्णकमार जी (के.के. रब्बर कं०) स्थानों पर शिष्टमंडल ने जा कर आर्थिक योगदान विपुल मात्रा काम कुछ वर्षों से चल रहा था। महत्तरा जी महाराज के प्रयत्न इमक अध्यक्ष बने तथा नरेन्द्र कमार जी (डी.आर. कमार बादर्स में प्राप्तकिये।श्री जे.आर.शाह तथा श्री प्रताप भोगी लाल आदि और प्रेरणा से कई एक अन्य स्थानों से भी पस्तकें और ग्रन्थ प्राप्त को मन्त्री नियुक्त किया गया एवं राकेश कुमार कोषाध्यक्ष बने। श्रीमन्त वयोवृद्ध आगेवानों ने बम्बई में अथक प्रयास कर हमारी होने लगे। पुस्तकालय और शोध कार्य की भावी रूप-रेखा तैयार महत्तरा साध्वी श्री मृगावती जी महाराज का चिन्तन सदैव झोली भर दी। मद्रास में सुश्रावक श्री माणेक चंद जी बेताला तथा की गई। रूप नगर में स्थानाभाव के कारण यह निर्णय हुआ कि चलता रहा। उसी के फलस्वरूप कार्य में सदैव समचित गति बनी श्री सायर चंद जी नाहर ने दिन रात एक कर लाखों रुपये की धन निधि के कार्यालय तथा इस ग्रन्थ भंडार को स्मारक होस्टल रही। विशाल कार्य को ध्यान में रखकर धीरे-धीरे और जमीन राशि के बचन प्राप्त किये। अहमदाबाद में श्री आत्माराम जी ब्लाक निर्मित हो जाने पर उस के तलधर में स्थानांतरित कर खरीद ली गयी। अतः अब निधि के पास कुल 20 एकड़ भूमि है। सूतरिया ने विशेष सहायता की और बंगलौर में सर्वश्री जीवराज दिया जाये। भविष्य में शोध कार्य को चलाने के लिए श्री उसका मास्टर प्लान उनके आदेशानुसार शुभ मुहूर्त में दिनांक चौहान तथा कुन्दन मल जी संघवी ने गुरू के दीवानों की तरह भोगीलाल लेहरचन्द इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलोजी नाम की संस्था 10 मई 1984 के दिन थीं दीपचन्द एस. गाडी (बम्बई) ने होस्टल काम किया। सौभाग्य से बम्बई के श्री शैलेश भाई कोठारी के मन स्थापित करने का भी निर्णय लिया गया और श्री प्रताप भोगीलाल रानाक का विधिवत उद्घाटन किया और इसके तलधर (बेसमेंट) में गुरु वल्लभ के प्रति अनन्य श्रद्धा उत्पन्न हो गई। उन्होंने जी ने इस कार्य के लिए स्मारक निधि अथवा शोध संस्थान को 21 में भोगीलाल लेहरचन्द इस्टीट्यूट ऑफ इंडोलोजी का श्रीगणेश स्मारक के काम के लिये स्वयं को समर्पित कर दिया। अम्बाला के लाख रुपये देने का वचन देकर, एक भीषण मार्ग सुगम कर दिया। सेठ प्रताप भोगीलाल जी के कर कमलों द्वारा सम्पन्न हुआ। श्री राज कुमार राय साहिब तथा लधियाना के ला० श्री पाल जी स्मारक निधि एवं भोगी लाल लेहरचंद फाउण्डेशन के सामूहिक भोजनशाला का उद्घाटन सर्वश्री शशिकान्त, रविकान्त तथा जैन ने विशेष रुचि लेकर दान संचय का कार्य किया। दिल्ली के सहयोग से "भोगी लाल लेहरचंद इन्स्टिट्यूट ऑफ इन्डोलोजी' नरेश कमार जैन परिवार ने सम्पन्न किया। इस दिन का सकल सर्व श्री रत्न चंद जी, राम लाल जी धनराज जी, विशम्बर की स्थापना की गई। भोगीलाल लेहरचंद संस्थान का एक विस्तृत समारोह सविख्यात वैज्ञानिक एवं कलपति जवाहरलाल नेहरू नाथ जी, विनोद लाल ‘दलाल, निर्मल कुमार जी और बीर चंद विधान बनाकर सोसायटी ऐक्ट के अन्तर्गत उसका पंजीकरण विश्वविद्यालय सथावक डा० दौलत सिंह जी कोठारी की जी सतत् यत्नशील रहे और उनसे मार्गदर्शन मिलता रहा। कराया गया। श्री विनोदलाल एन. दलाल इस संस्थान के प्रधान अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। श्री संघ की आज्ञा से साध्वी मंडल नये क्रमशः जब मनोहर लाल जी कोषाध्यक्ष बने तो उन्होंने भी नियुक्त किये गये और श्री प्रताप भोगीलाल जी को कार्यमंडल का स्मारक भवन में प्रवेश कर वहीं स्थिरता की। दिनांक।। मई अपनी भूमिका अच्छी प्रकार निभाई। अध्यक्ष बनाया गया। सर्व श्रीनिर्मल कुमार जैन तथा नरेन्द्र । सव श्रानिमल कुमार जैन तथा नरन्द्र 1984 के शुभ दिन माता पद्मावती जी के मंदिर का प्रतिष्ठा महत्तरा जी महाराज ने एक और महत्वपूर्ण निश्चय किया प्रकाश जैन उपाध्यक्ष नियुक्त हुए। कुछ समय बाद श्री महोत्सव महत्तरा श्री मगावती जी महाराज की निश्रा में सम्पन्न कि 23वें तीर्थकर भगवान पार्श्वनाथ जी की अधिष्टायिका देवी महेन्द्रभाई शेठ को संस्थान का मानद मंत्री नियुक्त किया गया। हआ केवल चार मास के भीतर ही मन्दिर जी का निर्मित हो जाना, पद्मावती जी का एक सुन्दर वास्तुकला के अनुरूप मंदिर भी इस परम पूज्य आचार्य विजय वल्लभ रि जी महाराज के एक आश्चर्ययुक्त उपलब्धि थी। समारोह में भाग लेने वालों के भूमि पर स्थापित होना चाहिए। इस हेतु देवी पद्मावती अन्तेवासी गणि श्री जनक विजय जी महाराज (हाल में आचार्य मन में एक विशेष उत्साह था। ऐसा लगता था कि स्मारक भूमि चैरीटेबल ट्रस्ट की स्थापना की गई और उसके अध्यक्ष बने लाला विजय जनक चंद्र सरि) हरियाणा में सर्व धर्म समभाव एवं मद्य के अन्दर इस सकल आयोजन से एक नया जीवन मिला है। देखते रामलाल जी। मन्त्री का कार्यभार श्री मन मोहन जी ने संभाला निषेध आदि का प्रचार करते हए, दि० 9.1.1983 को विजय ही देखते दर्शकों और भक्तजनों का वहां तांता लगने लगा। माता और विशम्बरनाथ जी कोषाध्यक्ष बने। दिनांक 18 जनवरी वल्लभ स्मारक स्थल पर पधारे। उनके शिष्य गणि जयन्त पद्मावती देवी जी की मान्यता उत्तरोत्तर बढ़ती गई और अनेक 1984 की प्रातः श्री रामलाल जी के कर-कमलों द्वारा पद्मावती विजय भी उनके साथ थे। स्मारक निर्माण योजना एवं प्रवृत्तियों लोगों के मनोवांछित परे होने लगे। स्मारक भूमि पर प्रत्येक वदि. 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