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भगवान महावीर की जन्मभूमि
क्षत्रियकुंड
-हीरा लाल दुग्गड़ जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर की लछवाड़ (जमई) के निकट क्षत्रिय कण्ड को भगवान महावीर की राजा नहीं था मात्र उमराव था। यही कारण था कि सिद्धार्थ जन्मभूमि मगध जनपद के कंडग्ग (कंडग्राम) में हुआ था। इसकी जन्म भूमि माना है। 2. दिगम्बर सम्प्रदाय मगध जनपद में और त्रिशला को क्षत्रिय और क्षत्रियाणी कहा है। त्रिशला का पुष्टि अर्द्धमागधी भाषा के प्राचीन जैनागम आचारांग, कल्पमत्र, नालंदा के निकट बड़गांव को कंडपुर मानकर महावीर का जन्म देवी रूप से कहीं उल्लेख नहीं है। आदि अनेक जैनागम शास्त्र करते हैं। एवं प्राचीनकाल में स्थान मानता है।
3. डा. हानले ने चंड का प्राकृत व्याकरण और जैनों के उपासक अनेकानेक यात्री या यात्रीसंघ-यात्रा करने के लिए आज तक वहाँ
दशांग सूत्र का अंग्रेजी अनुवाद किया है और जैने आते रहते हैं। कंडग्राम दो भागों में विभाजित था। 1. क्षत्रिय 3. आधुनिक कुछ पाश्चात्य एवं भारतीय विद्वान क्षत्रिय कण्ड को
पट्टावलियां भी प्रकाशित की हैं। उसने ई.सं1968 में कुण्ड और 2. ब्राह्मण कण्ड। कुछ वर्ष पहले तक तो उपर्यक्त विदेह जनपद की राजधानी वैशाली का एक मोहल्ला मानते हैं।
बंगाल ऐशियाटिक सोसायटी की वार्षिक सभा में प्रधान पद क्षत्रिय कण्ड को ही भगवान महावीर के च्यवन (गर्भावतरण) ऐसा मानते हुए भी वे इस मुहल्ले के लिए एक मत नहीं।
से जो भाषण दिया था। उसमें कहा कि - भगवान महावीर जन्म, दीक्षा इन तीन कल्याणकों की भमि निर्विवाद रूप से मान्य
के पिता सिद्धार्थ मात्ह जाति के ठाकर थे। वह वैशाली के थी। परन्त पाश्चात्य अन्वेषकों ने जब बसाढ़ (प्राचीन वैशाली) कछ पाश्चात्य विद्वानों की मान्यताएँ
कोल्लागसन्नि वेश (मुहल्ले) में रहता था। इसलिए भगवान की खोज की और भगवान महावीर के लिए प्रयक्त-वैशालिक,
महावीर को वैशालिक कहा जाता है। वैशाली वर्तमान काल विदेहदिन्ना, विदेहदिन्न, विदेहजच्चा आदि शब्द पढ़ने से कुछ । सर्वप्रथम जर्मन स्कालर हर्मन जेकाबी तथा जर्मन डा. का बसा है। पटना के उत्तर में 27 मील दूर है। कोल्लाग में पाश्चात्य विद्वानों ने यह धारणा बना ली कि भगवान महावीर का ए.एफ.आर. हारलने ने इन नई मान्यताओं को जन्म दिया। ज्ञान क्षत्रियों का दुतिपलाश नामका चैत्य धर्मस्थान था। यह जन्मस्थान वैशाली ही है। और उसके एक मोहल्ले को ही
पाश्चात् उनका अनुकरण कछ भारतीय विद्वानों ने भी उपासक दशांगसूत्र के भाषांतर प्र० तीसरे की टिप्पणी कुडग्राम मान लिया। इनका समर्थन कछ भारतीय विद्वानों ने भी किया। इस नये शोध के कारण यह मत बहत विश्वासपात्र (footnote) में लिखता है कि-वैशाली में वैशाली कुंडपुर, कर डाला।
बन गया। अब इनके मत के विषय में विचार करें। वणियाग्राम का समावेश होता है। जिनके अवशेष रूप आज दिगम्बर जैन सम्प्रदाय के साहित्य ने कंडपर के स्थान पर
2. डा. जेकोबी ने "Sacred Book of the East" इस नाम बसाढ, वासुकंड और वाणिया हैं। इसलिये कंडपर वैशाली कुंडलपुर को माना। नालंदा के निकट जो बड़गांव है उसको ही
की ग्रंथमाला के बाइसवें भाग में आचारांग सूत्र एवं कल्पसूत्र का ही नाम है। इसलिये महाबीर की जन्मभूमि वैशाली होने कुंडलपुर की संज्ञा दी। और यहाँ महावीर भगवान के दिगम्बर
का अंग्रेजी भाषा में अनुवाद किया है उसमें लिखा है कंडग्राम से वे वैशालिक कहलाये। एक बौद्ध कथा में वैशाली के तीन मंदिर की स्थापना की।
विदेह जनपद संस्था और वह विदेह की राजधानी वैशाली नाम कहे हैं। वैशाली के आगे कंडपुर और उसके आगे
का एक गांव अथवा मोहल्ला था। इस कारण से सूत्रकृतांग में कोल्लाग मोहल्ला था, इसमें क्षत्रिय रहते थे। जिस जाति में इसलिए भगवान महावीर का जन्म स्थान कहाँ है? यह प्रश्न भगवान महावीर को वैशालिक कहा है। क्योंकि कंडग्राम महावीर ने जन्म लिया था वहां कोल्लाग के पास दतिपलाश उठ खड़ा हुआ । अतः क्षत्रिय कंड के लिए इस समय तीन वैशाली का एक मोहल्ला है, इसलिए वैशाली भगवान चैत्य यानि उद्यान था। यह ज्ञात कल का ही था। इसलिये मान्यताएं प्रचलित है।।. प्राचीन मान्यता मागध जनपद में महावीर का नाम वास्तविक सिद्ध होता है। सिद्धार्थ वहाँ का आचारांग सूत्र और कल्पसूत्र में णायवण खंड उज्जणे लिख