Book Title: Anupan Manjari
Author(s): Vishram Acharya
Publisher: Gujarat Aayurved University

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Page 11
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org IV Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रति प्राप्त हुई । गुजरात सरकारके द्वारा गोंडल संग्रहकी दो हस्तप्रति भी प्राप्त हुई इस प्रकार छ हस्तप्रतियों के उपरांत एक जीरोक्स प्रति प्राप्त हुई । इन सात प्रतियों को लेकर ही प्रकाशन सम्बन्धी कार्यका प्रारंभ किया गया । श्री ब्रह्मदत्त शर्माजीके स्थानान्तरके अनन्तर श्री ज्ञानभास्कर पाण्डेयजी इस विभाग के अध्यक्ष हुए । इनके प्रयत्नसे इस विभागका afra विस्तृत करने हेतु एक दार्शनिक श्री गिरीशचन्द्र दीक्षित, एक भाषाशास्त्री श्री प्रभुलाल याज्ञिक और एक सहायक संशोधक श्रीमती सविता बहन गौर एम. ए. पी. एच. डी. को नियुक्त किया गया । श्री ज्ञानभास्कर पाण्डेयजी के निर्देशानुसार अनुपानमंजरी का अनुलेखन और प्रति संस्करण का कार्य प्रारंभ किया गया । इस कार्य के उपरांत (१) आयुर्वेद में उपमा (२) उपनिषद् आदिमें आयुर्वेद (३) महाभारत में आयुर्वेद आदि तीन ग्रन्थों के सामग्रीसंग्रह तथा लेखन के कार्य की भी एक विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत की गई । इस योजना के अनुसार इन तीन ग्रन्थों का कार्य भी प्रगति कर रहा है । श्री दत्तात्रेय वासुदेव पण्डितरावजी के स्थानान्तरणसे उनके स्थान पर श्री हरिवल्लभ चन्दुलाल ठाकर, एम. एस. ए. एम. को नियुक्त किया गया । इन्हों ने ज्योतिष और आयुर्वेद के परस्परानुग्रह को विषय बनाकर प्रबन्ध लेखन का कार्य प्रारंभ किया है । For Private And Personal Use Only

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