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रूप में सुस्थिर होंगे । इस प्रकार निघण्टसंग्रहकार - कतोभट्ट उनके गुरु श्री विठ्ठल भट्ट और अनुपानमंजरीकार श्री विश्रामजी आदि समकालीन होने का अनुमान यथार्थ प्रतीत होता है ।
स्थाननिर्णय(अर्जुनपुर और कुर्मदेश)
___ कच्छ प्रदेश गुजरात प्रान्त का एक भूमिभाग है । अर्जुनपुर नामक नगर कच्छ प्रदेश में अंजार नामक एक नगर है ।
गुजरात प्रान्त के ही कच्छ प्रदेश और उसके अंतर्गत अंजार नामक नगर को कूर्मप्रदेश और अर्जुनपुर के पर्याय के रूपमें लेने से ग्रन्थकर्ता का गुजरात प्रान्त के निवासी होना अपरिहार्य रूपमें सिद्ध होता है। इस विषय को व्याधिनिग्रह और अनुपानमंजरी नामक ग्रन्थ के प्रमाणों द्वारा अधिक स्पष्ट किया गया है ।
द्रव्यनाम
-
ग्रन्थनाम
মূলারী
संस्कृत स्वरूप
व्याधिनिग्रह
जेठीमध
छाल एख रो बिलीपत्र
५०/ ५५/
बाल १६४ हिमेज १५४
आंबो ३७५/ लालक रेण ४१२/ फटकडी ४५५/
ज्येष्ठा । (यष्टी) छल्ली (छल्ल) अहिखर (इक्षरक) बिल्वी बल्ला हिमजा (बाल हरीतकी) अम्ब (आम्र) रक्त कणवीर कटकी (स्फटिका)
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