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गुलाबकुंवरचा आयुर्वेद सोसायटी जामनगर के संग्रह से प्राप्त चार
हस्त प्रति में दो हस्त प्रति मूल पुस्तक के प्राचीन अनुलेखन के रूप में प्राप्त हुई है । इनमें एक कच्छ निवासी गुरुजी श्री पू. मूलजी लालजी चेला द्वारा संवत १८६१ के आषाढ शुक्ल ५ गुरुवारके तिथि समय निर्देश के साथ देवनागरी लिपिमें अनुलेखन की गई है । इस प्रातको ग नाम से संकेतित किया गया है ।
ध के रूपमें संकेतित हस्तप्रति गुलाबकुंवरबा आयुर्वेद सोसायटी जामनगर से प्राप्त दूसरी प्रति है । यह प्रति देवनागरी लिपिमें संपूर्ण रूपमें प्राप्त है । इस प्रति की विशेषता यह है कि इसमें मूल ग्रन्थ का गुजराती भाषा अनुवाद भी प्रत्येक पद्य के साथ दिया गया है ।
च और छ पुस्तक के रूपमें संकेतित प्रति गुलाब कुंवरबा आयुर्वेद सोसायटी जामनगरकी स्थापना के अनन्तर सोसायटी के ही कर्मचारी श्री व्रजमोहनप्रसाद वैद्यराज तथा श्री जन्मशंकर शुक्लके द्वारा सन १९४३ के आसपास घ प्रतिका अनुलेख मात्र ही है ।
ज पुस्तक के नामसे संकेतित प्रति पुआड श्री गुरुनाथरावकी अनुमति से मद्रास बाविल्ल रामस्वामी एन्ड सन्स मुद्रणालय के द्वारा प्रांध्र भाषामें भाषान्तर के साथ वी रामस्वामी शास्त्रलु एन्ड सन्स के तत्वावधान में सन १९१५ में मद्रास में तेलुगु लिपिमें मुद्रित और इन्डिया आफिस लायब्रेरी लंदन में सुरक्षित प्रतिकी जीरोक्स कापीके रूपमें हमारे विभाग द्वारा प्राप्तः की गई है ।
ग्रंथकर्ता. ग्रंथरचना काल और स्थान आदिका संकेत देनेवाले अन्य
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