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Achan
लिपिकाल आदिका निर्देश नहीं है । यह ग्रन्थ इण्डिया आफिस लायबरी लंदन से जीरोक्स कापीमे प्राप्त किया गया है ।
इस प्रकार हमारे विभागको प्राप्त हस्त प्रति विवरण प्रस्तुत है। इन प्रतियोंमें प्रथम क- नामसे संकेतित प्रतिको आदर्श मान कर अनिवार्य आवश्यक परिवर्तनके साथ यथावस्थित रूपमें मुद्रित करनेका प्रयत्न किया गया है ।
इस क- प्रतिको आदर्श माननेसे इस प्रतिमें अनुपलब्ध और अन्य प्रतियोमे' समुपलब्ध पाठको गोलाभिवार के चिह्नमें अंकित कर मुद्रित किया गया है और इस अधिक पाठको भी मूल पाठके ही समान अनूदित किया गया है ।
मुल प्रतिको क नामसे निर्दिष्ट किया है, और अन्य छ प्रतियों को ख, ग, घ, च, छ, ज, इस प्रकार संकेतित किया गया है। इन सात प्रति यों में क प्रति को आदर्श मान कर अन्य प्रतियों के साथ अधिक अथवा अल्प पाठ भेद का प्रति पृष्ठ निर्देश किया है।
इस विवरण के अनुसार हस्त लिखित प्रतियों के क्रमनिधारणके अनन्तर भनुपान मंजरी नामक ग्रन्थ को मुद्रित किया गया है।
अ पुस्तक विशेष विवरण
श्री कृष्णगोपाल आयुर्वेद भवन द्वारा प्रकाशित स्वास्थ्य नामक मासिक के अक्तूबर १९७० के अंकमें श्री कविराज राजेन्द्रप्रकाश आ-भटनागरके अनुपानमंजरी के विषय में एक लेख प्रकाशित हुआ है। इस लेख में अनुपानमंजरीकी उदयपुर स्थित प्रति सं. १४७२ के अनुसार एक विवरण दिया
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