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इस प्रकाशनके समय (ज) पुस्तकके नामसे संकेतित प्रति इन्डिया प्राफिस लायब्रेरी लन्दनसे दीर्घकाल पर्यन्त के पत्रव्यवहार और कठिन परिमसे जीरोक्स कापी के रूपमें प्राप्त की गई है।
___ यह प्रति बा. रामस्वामी शालुलु एन्ड सन्स मद्रास द्वारा सन १९१५ में तेलुगु अनुवादके साथ तेलुगुलिपिमें ही संस्कृत पाठ के साथ सर्वप्रथम मुद्रित की गई है । इसी प्रतिको इन्डिया आफिस लायब्रेरी में सुरिक्षत रखा गया है और इसीकी जीरोक्स कापी हमारे विभागको प्राप्त हुई है ।
हमारे विभागको प्राप्त तेलगुलिपिकी इस पुस्तकको हमारे यहां के C. C. R. I. M. H. के साहित्य संशोधन विभागके सहयोगी कार्यकर्ता श्री प्रताप रेड्डी ने देवनागरी में परिवर्तित कर देनेसे इस प्रकाशनमें पर्याप्त सहायता मिली है ।
इस ज पुस्तकसे यह एक बात जानने योग्य है कि जिस पुस्तकको गुजरातमें २०० वर्ष पर्यन्त मुद्रित होनेका अवसर प्राप्त नहीं हुमा वह. पुस्तक तेलुगु लिपिमें सम्पूर्ण रूपमे मुद्रित हुई है । इस प्रतिको देखनेसे यह भी प्रतीत होता है कि मूल पुस्तकसे इस प्रतिमे पर्याप्त परिवर्तन हुआ है ।
गुजरातके लेखक की प्रतिका मद्रासमें जा कर परिवर्तित रूपमें मुड़ित हाना इन दोनों प्रान्तों के पारस्परिक सांस्कृतिक सम्बन्ध और दोनों प्रान्तोंके विद्वानोंकी पारस्परिक गुणग्राहिताका परिचायक है । मद्रास की प्रतिमें भाषा तथा लिपि भेद होने पर भी चोक्खम, सन्देसरा, सावा, पटसन ग्रादि गुजराती शब्दोंको यथा वस्थित रूपमें रखकर यथार्था में ही गुणज्ञत्ताका प्रदर्शन किया गया है।
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