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समुदेशः
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ज्ञात और अज्ञात सभी प्रकारके विष विकारों में शर्करा, मधु,
घृत, दुग्ध, तण्डुल और माहिष शकृत् सर्वश्रेष्ठ औषध और पथ्य हैं । श्वानविष अलर्कविषको छोडकर अन्य विषोमें इन द्रव्योंको पृथक् पृथक् देना चाहिए किन्तु श्वानविषमें विशेषतया रूक्ष अन्न, तैल और पलाण्डु पथ्य है ।। ३६-३७ ।
इति श्री अनुपानमञ्जर्या जंगमविषशान्तिप्रकरणं नाम चतुर्थः
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