Book Title: Anupan Manjari
Author(s): Vishram Acharya
Publisher: Gujarat Aayurved University

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Page 32
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org १९ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir यशद, तथा लोह ये सात धातु हैं । पित्तल, मण्डूर, कृपाणलोह, पिङग, धोष, इन मिश्र लोह जिनका निर्माण कृत्रिम रूपसे होता है इनका भी धातुओं के साथ इसी समुद्देशमें वर्णन किया गया है । द्वितीय समुद्देश इस ग्रन्थके द्वितीय समुद्देशमें उपधातुओंका उल्लेख है इनमें पारदका उपधातु के रूपमें सर्व प्रथम उल्लेख ध्यान देने योग्य है । वस्तुतः पारद रस द्रव्य है । केवल खनिज होनेसे या हिंगुल रूपमें यौगिक खनिजके रूपमें भूमिसे प्राप्त होने के कारण ताल, मनःशिला, तुत्थ, कासीस, आदि धातुओं के खनिज यौगिकोंके साथ इसका निर्देश भी उपधातुके रूपमें किया जाना संभवित है । हिंगुल का इस अध्यायमें कहीं भी उल्लेख नहीं है जबकि पारदका पारद और सूत इन दो नामोंसे उल्लेख प्राप्त है । अन्य द्रव्योंमें मल्ल तथा उनके खनिज यौगिक ताल, मनःशिला, गंधक (बलि) अभ्रक, माक्षिक, तुत्थ, मृद्दारा ग, कासीस, गैरिक, इन सबका उपधातुओंके रूपमें उल्लेख किया गया है । इस वर्ग में मुक्ता और प्रवाल जो वास्तव में प्राणिज द्रव्य हैं उनका भी उपधातुओंके साथ उल्लेख किया है और रसकर्पूर तथा नवसार जो कि कृत्रिम रूपसे निर्माणके अनन्तर ही उपलब्ध होने योग्य है इनको भी उपधातुके बर्ग में परिगणित किया गया है। तृतीय समुद्देश इस ग्रन्थ के तृतीय समुद्देशमें अहिफेन, भंगा, दन्तीबीज एवं उच्चटा आदि विष का स्थावर विषके रूपमें उल्लेख किया गया है । प्राचीन संहिता For Private And Personal Use Only

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