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ग्रन्थनाम
अनुपान मंजरी
व्याधिनिग्रह
अनुपान मंजरी
व्याधिनिग्रह
अनुपान मंजरी
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गुजराती
तज
२/५
शिलाजित् २ / १५
३/४
पटवण
संदेसडा
हिमेज
मेंदी
रोगनाम
हरस
६३/
बन्धकोष्ठ १५२ /
रान्धण
सत्पुडा ३२५/
झामरो ६५१ /.
वालो ३४२ /
रसोली ३४६/
३/५
१/७
५/५
आमवायु ३०० /
खिल ३८५/
लू
क्रियानाम
डांभ देना (दाग़ना)
डांभ
३/१५
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त्वक
संस्कृत स्वरूप
शिलाजतु
कापस
सिद्धनाथ :
शिवा
मदयन्तिका
हर्ष
बद्धकोष्ठ
गृध्रसी
सप्तपुटम
अमेरीक:
वालकम् ( स्नायुकः )
रसोलिका
ग्राम्बवायु
खिल्ल
लक
डंभयेत् २४८/
भनक्रिया ५ / ३४
इस प्रकार व्याधिनिग्रह ओर अनुपानमंजरी नामक ग्रन्थो में वर्णन योग्य द्रव्य रोग, क्रिया, आदि को लेखकने मूल गुजरात प्रान्त में व्यवहृत शब्दोंको संस्कृत स्वरूप देकर प्रयोग किया है ।