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३ आचार्य श्रीकपिल
सांख्यशास्त्र के प्रथम प्रवक्ता आचार्य कपिल भगवान विष्णु के अवतार माने जातें हैं । इन्होंने अपने अवतरण और अवतार कार्य निर्वहमके योग्य गुर्जर प्रान्तके सिद्ध पुर नामक नगर के आसपास बिन्दु सरोवर नामक पवित्र स्थानको चुनकर गुर्जर "प्रान्तको परम सौभाग्य प्रदान किया ।
इन्होंने प्रकृति - पुरुष - चौवीस-पच्चीस तत्व समुदाय आदि सांख्य शास्त्रके मूल आधारों का वर्णन और विस्तृत विचारों को सूत्रात्मक रूपमें समझाने का प्रयास किया । ईश्वर को मानने वाले और न मानने वाले सेश्वर और निरीश्वर सांख्य दो प्रकार के शास्त्रसम्मत वाद प्रस्थापित ।
इस प्रकार दर्शन शास्त्र के मूल सिद्धान्तों की प्रस्थापना योग्य प्रतिभा गुर्जर प्रान्त के सौभाग्य शील प्रदान का ही परिणाम है ।
इस प्रकार दर्शन शास्त्र के द्वारा आध्यात्मिक शान्ति प्रदान के समान मनुष्यको आरोग्य और दीर्घायु प्रदान कर भौतिक शान्ति प्राप्त करने के उपाय प्रदर्शित करने वाले महान आयुर्वेद शास्त्र को भी गुर्जर प्रान्तकी पवित्र भूमिके सुपुत्रोंका सहयोग प्राप्त हुआ है ।
आयुर्वेदिक वाङ्मय
गुजरातप्रान्तके विद्वानोंका योगदान
१ आचार्य श्री सोढल
आयुर्वेदशास्त्र के 'गदनिग्रह' नामक औषधि योग और रोग चिकित्सा के परम प्रसिद्ध ग्रन्थके लेखक आचार्यश्री सोढल गुर्जर प्रान्तके ब्राह्मणकुलो में प्रसिद्ध रायकवाल ब्राह्मण कुलमें उत्पन्न हुए थे । इनका वत्स नामक गोत्र था । चिकित्साशास्त्र के परम विद्वान वैद्यनन्दन नामक
(१) श्रीमद्भागवत ३-२४--९ । ३-२१-३३ । वायु पुराण ३८-३–७.
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