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जीवाजीवाभिगम-३ / द्वीप / २०४
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[२०४] हे भगवन् ! लवणसमुद्र की शिखा चक्रवालविष्कम्भ से कितनी चौड़ी है और वह कितनी बढ़ती और घटती है ? हे गौतम ! लवणसमुद्र की शिखा चक्रवालविष्कंभ की अपेक्षा दस हजार योजन चौड़ी है और कुछ कम आधे योजन तक वह बढ़ती है और घटती है । हे भगवन् ! लवणसमुद्र की आभ्यन्तर और बाह्य वेला को कितने हजार नागकुमार देव धारण करते हैं ? कितने हजार नागकुमार देव अग्रोदक को धारण करते हैं ? गौतम आभ्यन्तर वेला को ४२००० और बाह्यवेला को ७२००० नागकुमार देव धारण करते हैं । ६०००० नागकुमार देव अग्रोदक को धारण करते हैं ।
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[२०५] हे भगवन् ! वेलंधर नागराज कितने हैं ? गौतम ! चार, गोस्तूप, शिवक, शंख और मनःशिलाक । हे भगवन् ! इन चार वेलंधर नागराजों के कितने आवासपर्वत कहे गये हैं ? गौतम ! चार, गोस्तूप, उदकभास, शंख और दकसीम । हे भगवन् ! गोस्तूप वेलंधर नागराज का गोस्तूप नामक आवासपर्वत कहां है ? गौतम ! जम्बूद्वीप के मेरुपर्वत के पूर्व में लवणसमुद्र में ४२००० योजन जाने पर है । वह १७२१ योजन ऊँचा, ४३० योजन एक कोस पानी में गहरा, मूल में १०२२ योजन लम्बा-चौड़ा, बीच में ७२३ योजन लम्बा-चौड़ा और ऊपर ४२४ योजन लम्बा-चौड़ा है । उसकी परिधि मूल में ३२३२ योजन से कुछ कम, मध्य में २२८४ योजन से कुछ अधिक और ऊपर १३४१ योजन से कुछ कम है । यावत् प्रतिरूप है । वह एक पद्मवरवेदिका और एक वनखंड से चारों ओर से परिवेष्टित है । गोस्तूप आवासपर्वत के ऊपर बहुसमरमणीय भूमिभाग है, यावत् वहां बहुत से नागकुमार देव और देवियां स्थित हैं । उस में एक बड़ा प्रासादावतंसक है जो साढ़े बासठ योजन ऊँचा है, सवा इकतीस योजन का लम्बा-चौड़ा है ।
हे भगवन् ! गोस्तूप आवासपर्वत, गोस्तूप आवासपर्वत क्यों कहा जाता है ? हे गौतम ! गोस्तूप आवासपर्वत पर बहुत-सी छोटी-छोटी बावड़ियां आदि हैं, जिनमें गोस्तूप वर्ण के बहुत सारे उत्पल कमल आदि हैं यावत् वहां गोस्तूप नामक महर्द्धिक और एक पल्योपम की स्थितिवाला देव रहता है । वह गोस्तूप देव ४००० सामानिक देवों यावत् गोस्तूपा राजधानी का आधिपत्य करता हुआ विचरता है । यावत् वह गोस्तूपा आवासपर्वत नित्य है । हे भगवन् ! गोस्तूप देव की गोस्तूपा राजधानी कहां है ? हे गौतम ! गोस्तूप आवासपर्वत के पूर्व में तिर्यदिशा में असंख्यात द्वीप - समुद्र पार करने के बाद अन्य लवणसमुद्र में है ।
हे भगवन् ! शिवक वेलंधर नागराज का दकाभास नामक आवास पर्वत कहां है ? गौतम ! जम्बूद्वीप के मेरुपर्वत के दक्षिण में लवणसमुद्र में ४२००० योजन आगे जाने पर है । गोस्तूप आवासपर्वत समान इसका प्रमाण है । विशेषता यह है कि यह सर्वात्मना अंकरत्नमय है, यावत् प्रतिरूप है । यावत् यह दकाभास क्यों कहा जाता है ? गौतम ! लवणसमुद्र में दकाभास नामक आवासपर्वत आठ योजन के क्षे६ में पानी को सब ओर अ विशुद्ध अंकरत्नमय होने से अपनी प्रभा से अवभासित, उद्योतित और तापित करता है, चमकाता है तथा शिवक नाम का महर्द्धिक देव यहां रहता है, इसलिए यह दकाभास कहा जाता है । यावत् शिवका राजधानी का आधिपत्य करता हुआ विचरता है । वह शिवका राजधानी काभास पर्वत के दक्षिण में अन्य लवणसमुद्र में है, आदि ।
हे भगवन् ! शंख नामक वेलंधर नागराज का शंख नामक आवासपर्वत कहां है ?
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