Book Title: Agam Sutra Hindi Anuvad Part 07
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Aradhana Kendra

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Page 121
________________ आगमसूत्र - हिन्दी अनुवाद का वर्णन समझना । हे भगवन् ! धातकीखण्ड के एक द्वार से दूसरे द्वार का अपान्तराल अन्तर कितना है ? गौतम ! १०२७७३५ योजन और तीन कोस का अपान्तराल अन्तर है । १२० भगवन् ! धातकीखण्डद्वीप के प्रदेश कालोदधिसमुद्र से छुए हुए हैं क्या ? हां गौतम ! हैं । भगवन् ! वे प्रदेश धातकीखण्ड के हैं या कालोदसमुद्र के ? गौतम ! वे प्रदेश धातकीखण्ड के हैं । इसी तरह कालोदसमुद्र के प्रदेशों के विषय में भी कहना । भगवन् ! धातकीखण्ड से मरकर जीव कालोदसमुद्र में पैदा होते हैं क्या ? गौतम ! कोई होते हैं, कोई नहीं होते । इसी तरह कालोदसमुद्र से मरकर धातकीखण्डद्वीप में भी समझना । भगवन् ! ऐसा क्यों कहा जाता है कि धातकीखण्ड, धातकीखण्ड है ? गौतम ! धातकीखण्डद्वीप में स्थान-स्थान पर यहां वहां धातकी के वृक्ष, धातकी के वन और धातकी के वनखण्ड नित्य कुसुमित रहते हैं यावत् शोभित होते हुए स्थित हैं, धातकी महाधातकी वृक्षों पर सुदर्शन और प्रियदर्शन नाम के दो महर्द्धिक पल्योपम स्थितिवाले देव रहते हैं, इस कारण धातकीखण्ड कहलाता । गौतम ! धातकीखण्ड नाम नित्य है । भगवन् ! धातकीखण्डद्वीप में कितने चन्द्र प्रभासित हुए, होते हैं और होंगे ? यावत् कितने कोडाकोडी तारागण शोभित होते थे, शोभित होते हैं और शोभित होंगे ? [२२५] गौतम ! धातकीखण्डद्वीप में बारह चन्द्र उद्योत करते थे, करते हैं और करेंगे। बारह सूर्य तपते थे, तपते हैं और तपेंगे । १३६ नक्षण योग करते थे, करते हैं और करेंगे। १०५६ महाग्रह चलते थे, चलते हैं और चलेंगे । [२२६-२२७] ८०३७०० कोडाकोडी तारागण, शोभित होते थे, शोभित होते हैं और शोभित होगे । [२२८] गोल और वलयाकार आकृति का कालोद समुद्र धातकीखण्ड द्वीप को सब ओर से घेर कर रहा हुआ है । भगवन् ! कालोदसमुद्र समचक्रवाल संस्थित है या विषमचक्रवाल ? गौतम ! कालोदसमुद्र समचक्रवाल संस्थित है । गौतम ! कालोदसमुद्र का आठ लाख योजन चक्रवालविष्कंभ है और ९११७६०५ योजन से कुछ अधिक उसकी परिधि है । वह एक पद्मवेदिका और एक वनखंड से परिवेष्टित है । गौतम ! कालोदसमुद्र के चार द्वार हैं- विजय, वैजयंत, जयंत और अपराजित । कालोदसमुद्र के पूर्वदिशा के अन्त में और पुष्करवरद्वीप के पूर्वार्ध के पश्चिम में शीतोदा महानदी के ऊपर कालोदसमुद्र का विजयद्वार है । वह आठ योजन का ऊँचा है आदि पूर्ववत् । कालोदसमुद्र के दक्षिण पर्यन्त में, पुष्करवरद्वीप के दक्षिणार्ध भाग के उत्तर में कालोदसमुद्र का वैजयंतद्वार है । कालोदसमुद्र के पश्चिमान्त में, पुष्करवरद्वीप के पश्चिमार्ध के पूर्व में शीता महानदी के ऊपर जयंत नाम का द्वार है । कालोदसमुद्र के उत्तरार्ध के अन्त में और पुष्करवरद्वीप के उत्तरार्ध के दक्षिण में कालोदसमुद्र का अपराजितद्वार है । शेष वर्णन पूर्ववत् । भगवन् ! कालोदसमुद्र के एक द्वार से दूसरे का अन्तर कितना है ? [२२९] गौतम ! २२९२६४६ योजन और तीन कोस का अन्तर है । [२३०] भगवन् ! कालोदसमुद्र के प्रदेश पुष्करवरद्वीप से छुए हुए हैं क्या ? इत्यादि पूर्ववत्, यावत् पुष्करवरद्वीप के जीव मरकर कालोद समुद्र में कोई उत्पन्न होते हैं और कोई नहीं । भगवन् ! कालोदसमुद्र, कालोदसमुद्र क्यों कहलता है ? गौतम ! कालोदसमुद्र का पानी

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