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जीवाजीवाभिगम-३ / द्वीप./२९६
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वावड़ियां इक्षुरस जैसे पानी से भरी हुई हैं । इसमें उत्पातपर्वत है जो सर्ववज्रमय हैं और स्वच्छ हैं। यहां अशोक और वीतशोक नाम के दो महर्द्धिक देव रहते हैं । यहां सब ज्योतिष्कों की संख्या संख्यात जानना
[२९७] अरुणद्वीप को चारों ओर से घेरकर अरुणोद समुद्र अवस्थित है । उसका विष्कंभ, परिधि, अर्थ, उसका इक्षुरस जैसा पानी आदि सब पूर्ववत् । विशेषता यह है कि इसमें सुभद्र और सुमनभद्र नामक दो महर्द्धिक देव रहते हैं । उस अरुणोदक समुद्र को अरुणवर द्वीप चारों ओर से घेरकर स्थित है । वह गोल और वलयाकार संस्थानवाला है । उसी तरह संख्यात लाख योजन का विष्कंभ, परिधि आदि जानना । अर्थ के कथन में इक्षुरस जैसे जल से भरी वावड़ियां, सर्ववज्रमय एवं स्वच्छ, उत्पातपर्वत और अरुणवरभद्र एवं अरुणवरमहाभद्र नाम के दो महर्द्धिक देव वहां निवास करते हैं आदि । इसी प्रकार अरुणवरोद नामक समुद्र का वर्णन भी जानना यावत् वहां अरुणंवर और अरुणमहावर नाम के दो महर्द्धिक देव रहते हैं । अरुणवरोदसमुद्र को अरुणवरावभास नाम का द्वीप चारों ओर से घेर कर स्थित है । वह गोल है यावत् वहां अरुणवराभासभद्र एवं अरुणवराभासमहाभद्र नाम के दो महर्द्धिक देव रहते हैं । इसी तरह अरुणवरावभाससमुद्र में अरुणवरावभासवर एवं अरुणवरावभासमहावर नाम के दो महर्द्धिक देव वहां रहते हैं।
[२९८] कुण्डलद्वीप में कुण्डलभद्र एवं कुण्डलमहाभद्र नाम के दो देव रहते हैं और कुण्डलोदसमुद्र में चक्षुशुभ और चक्षुकांत नाम के दो महर्द्धिक देव रहते हैं । शेष पूर्ववत् । कुण्डलवरद्वीप में कुण्डलवरभद्र और कुण्डलवरमहाभद्र नामक दो महर्द्धिक देव रहते हैं । कुण्डलवरोदसमुद्र में कुण्डलवर और कुण्डलवरमहावर नाम के दो महर्द्धिक देव रहते हैं । कुण्डलवरावभासद्वीप में कुण्डलवरावभासभद्र और कुण्डलवरावभासमहाभद्र नाम के दो महर्द्धिक देव रहते हैं । कुण्डलवरावभासोदकसमुद्र में कुण्डलवरोभासवर एवं कुण्डलवरोभासमहावर नाम के दो महर्द्धिक देव रहते हैं ।
[२९९] कुण्डलवराभाससमुद्र को चारों ओर से घेरकर रुचक द्वीप अवस्थित है, जो गोल और वलयाकार है । वह समचक्रवालविष्कंभ वाला है । इत्यादि सब वर्णन पूर्ववत् यावत् वहां सर्वार्थ और मनोरम नाम के दो महर्द्धिक देव रहते हैं । रुचकोदक नामक समुद्र क्षोदोद समुद्र की तरह संख्यात लाख योजन चक्रवालविष्कंब वाला, संख्यात लाख योजन परिधि वाला और द्वार, द्वारान्तर भी संख्यात लाख योजन वाले हैं । वहां ज्योतिष्कों की संख्या भी संख्यात कहना । यहां सुमन और सौमनस नामक दो महर्द्धिक देव रहते हैं । शेष पूर्ववत् । रुचकद्वीप समुद्र से आगे के सब द्वीप समुद्रों का विष्कंभ, परिधि, द्वार, द्वारान्तर, ज्योतिष्कों का प्रमाण - ये सब असंख्यात कहने चाहिए ।
रुचकोदसमुद्र को सब ओर से घेरकर रुचकवर नाम का द्वीप अवस्थित है, जो गोल है आदि कथन करना चाहिए यावत् रुचकवरभद्र और रुचकवरमहाभद्र नाम के दो महर्द्धिक देव रहते हैं । रुचकवरोदसमुद्र में रुचकवर और रुचकवरमहावर नाम के दो देव रहते हैं, जो महर्द्धिक हैं । रुचकवरावभासद्वीप में रुचकवरावभासभद्र और रुचकवरावभाससमहाभद्र नाम के दो महर्द्धिक देव रहते हैं । रुचकवरावभासमुद्र में रुचकवरावभासवर और रुचकवरावभासमहावर नाम के दो महर्द्धिक देव हैं ।