Book Title: Agam Sutra Hindi Anuvad Part 07
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Aradhana Kendra

Previous | Next

Page 223
________________ २२२ आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद पल्योपम है । ग्रहविमान में अपर्याप्तक देवों की स्थिति जघन्य और उत्कृष्ट अन्तर्मुहर्त है । ग्रहविमान में पर्याप्तक देवों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहर्त कम पल्योपम के चतुर्थ भाग और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम एक पल्योपम है । ग्रहविमान देवियों की जघन्य स्थिति देवो के समान ही है । उत्कृष्ट स्थिति अर्धपल्योपम की है । ___ भगवन् ! नक्षत्रविमान में देवों की स्थिति ग्रहविमान की देवियों के समान है । नक्षत्रविमान में देवियों की स्थिति जघन्य पल्योपम का चतुर्थभाग है और उत्कृष्ट कुछ अधिक चौथाई पल्योपम की है । नक्षत्रविमान में अपर्याप्तक देवियों की स्थिति जघन्य और उत्कृष्ट अन्तर्मुहर्त है । नक्षत्रविमान में पर्याप्त देवियों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम चौथाई पल्योपम और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम पल्योपम के चौथाई भाग से कुछ अधिक है । ताराविमान में देवों की स्थिति जघन्य पल्योपम के आठवें भाग और उत्कृष्ट चौथाई पल्योपम है । भगवन् ! ताराविमान में अपर्याप्त देवों की स्थिति जघन्य और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त है । ताराविमान में पर्याप्त देवों की स्थिति औधिक स्थिति से अन्तर्मुहर्त कम जानना । ताराविमान में देवियों की स्थिति जघन्य पल्योपम का आठवाँ भाग और उत्कृष्ट पल्योपम के आठवें भाग से कुछ अधिक की है । ताराविमान में अपर्याप्त देवियों की स्थिति जघन्य और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त की है । ताराविमान में पर्याप्त देवियों की स्थिति औधिक स्थिति से अन्तर्मुहूर्त कम है । [३०६] भगवन् ! वैमानिक देवों की स्थिति कितने काल की है ? जघन्य एक पल्योपम की है और उत्कृष्ट तेतीस सागरोपम है । अपर्याप्तक वैमानिक देवों की स्थिति जघन्य और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त है । पर्याप्त वैमानिक देवों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम एक पल्योपम और उत्कृष्ट अन्तर्मुहर्त कम तेतीस सागरोपम है । वैमानिक देवियों की स्थिति जघन्य एक पल्योपम और उत्कृष्ट पचपन पल्योपम है । वैमानिक अपर्याप्त देवियों की स्थिति जघन्य और उत्कृष्ट अन्तर्मुहर्त है । पर्याप्त वैमानिक देवियों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहर्त कम एक पल्योपम और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम पचपन पल्योपमों है । भगवन् ! सौधर्मकल्प में, देवों की स्थिति जघन्य एक पल्योपम और उत्कृष्ट दो सागरोपम है । इनके अपर्याप्तो की स्थिति जघन्य और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त की है । सौधर्मकल्प में पर्याप्तक देवों की स्थिति औधिक स्थिति से अन्तर्मुहर्त कम समझना । सौधर्मकल्प में देवियों की स्थिति जघन्य एक पल्योपम और उत्कृष्ट पचास पल्योपम हैं । इनके अपर्याप्त की स्थिति जघन्य और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त है । सौधर्मकल्प की पर्याप्तक देवियों की स्थिति औधिक स्थिति से अन्तर्मुहर्त कम समझना । सौधर्मकल्प में परिगृहीता देवियों की स्थिति जघन्य एक पल्योपम और उत्कृष्ट सात पल्योपम है । इनके अपर्याप्तको की स्थिति जघन्य और उत्कृष्ट अन्तर्मुहर्त है । इनके पर्याप्त की स्थिति औधिक स्थिति से अन्तर्मुहर्त कम समझना । सौधर्मकल्प में अपरिगृहीता देवियों की स्थिति औधिक देवियों के समान जानना। . भगवन् ! ईशानकल्प में देवों की स्थिति कितने काल की है ? सौधर्मकल्प के देवो से कुछ अधिक समझना । ईशानकल्प में देवियों की स्थिति सौधर्मकल्प देवियो के समान ही है, विशेष यह की जघन्य स्थिति में कुछ अधिक कहना । ईशानकल्प में परिगृहीता देवियों

Loading...

Page Navigation
1 ... 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241