________________
२२०
आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद जलचर पंचेन्द्रिय की औधिक अपर्याप्त और पर्याप्त की स्थिति संमूर्छिम पंचेन्द्रियतिर्यंच योनिक जीवो के समान जानना ।
चतुष्पद स्थलचर पंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक की स्थिति संबंधि प्रश्न-इनकी औधिकअपर्याप्तक-पर्याप्तक ये तीनो की स्थिति औधिक पंचेन्द्रिय तिर्यंच के समान जानना । सम्मूर्छिम चतुष्पद स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक जीवों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त एवं उत्कृष्ट चौरासी हजार वर्ष है । इनके अपर्याप्त की जघन्य स्थिति और उत्कृष्ट स्थिति भी अन्तर्मुहूर्त है । इनके पर्याप्त की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहूर्त कम चौरासी हजार वर्ष है । - गर्भज चतुष्पद स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक की स्थिति औधिक तिर्यंच पंचेन्द्रिय के समान जानना ।।
भगवन् ! उरःपरिसर्प स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक जीवों की स्थिति कितने काल की है ? गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहर्त की है और उत्कृष्ट पूर्वकोटि की है । इनके अपर्याप्त जीवो की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहुर्त और उत्कृष्ट स्थिति भी अन्तर्मुहर्त है । इनके पर्याप्त जीवो की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट अन्तर्मुहर्त कम पूर्वकोटि है । सामान्य सम्मूर्छिम उरःपरिसर्प स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त की है और उत्कृष्ट तिरेपन हजार वर्ष है । इनके अपर्याप्तक जीवो की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त है । इनके पर्याप्तक जीवो की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त की है और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम तिरेपन हजार वर्ष की है ।।
गर्भज उरःपरिसर्प स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक जीवों की स्थिति संमूर्छिम पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक जीवो के समान जानना । भुजपरिसर्प स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक जीवों की स्थिति भी संमूर्छिम पंचेन्द्रियतिर्यंच योनिक जीवो के समान जानना । सम्मूर्छिम भुजपरिसर्प स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त तथा उत्कृष्ट स्थिति बयालीस हजार वर्ष की है । इनके अपर्याप्तक जीवो की स्थिति जघन्य और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की है । इनके पर्याप्तक जीवो की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहुर्त तथा उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम बयालीस हजार वर्ष की है । गर्भज भुजपरिसर्प स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक जीवों की स्थिति संमूर्छिम पंचेन्द्रियतिर्यंच योनिक जीवो के समान जानना ।
भगवन् ! खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक जीवों की स्थिति कितने काल तक की है ? गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहर्त की है, उत्कृष्ट पल्योपम के असंख्येयभाग की है । इनके अपर्याप्त जीवो की स्थिति और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहर्त की है । इनके पर्याप्त जीवो की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट अन्तर्मुहुर्त कम पल्योपम के असंख्यातवें भाग की है ।
. भगवन् ! सम्मूर्छिम खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक जीवों की स्थिति कितने काल की है ? गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट बहत्तर हजार वर्ष की है । इनके अपर्याप्त जीवो की स्थिति जघन्य और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहर्त की है । इनके पर्याप्त जीवों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त की है और उत्कृष्ट अन्तर्मुहर्त कम बहत्तर हजार वर्ष की है । गर्भज-खेचरपंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिक जीवों की स्थिति खेचर पंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक समान जानना ।
[३०३] भगवन् ! मनुष्यों की कितने काल की स्थिति है ? गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त