Book Title: Agam Sutra Hindi Anuvad Part 07
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Aradhana Kendra

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Page 222
________________ प्रज्ञापना - ४ /-/ ३०३ 1 है और उत्कृष्ट तीन पल्योपम की है । अपर्याप्तक मनुष्यों की स्थिति जघन्य और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की है । पर्याप्तक मनुष्यों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम तीन पल्योपम है । सम्मूर्च्छिम मनुष्यों की स्थिति जघन्य और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त है । गर्भज मनुष्यों की स्थिति औधिक मनुष्य समान जान लेना । [३०४] भगवन् ! वाणव्यन्तर देवों की स्थिति कितने काल की है ? गौतम ! जघन्य दस हजार वर्ष की है, उत्कृष्ट एक पल्योपम की है । अपर्याप्त वाणव्यन्तर की स्थिति जघन्य और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की है । पर्याप्तक वाणव्यन्तर की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम दस हजार वर्ष की है और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त्त कम एक पल्योपम की है । वाणव्यन्तर देवियों की स्थिति जघन्य दस हजार वर्ष और उत्कृष्ट अर्द्ध पल्योपम है । अपर्याप्त वाणव्यन्तरदेवियों की स्थिति जघन्य और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त है । पर्याप्तक वाणव्यन्तरदेवियों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त कम दस हजार वर्ष और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम अर्द्ध पल्योपम है । [३०५] भगवन् ! ज्योतिष्क देवों की स्थिति कितने काल की है ? गौतम ! जघन्य पल्योपम का आठवाँ भाग है और उत्कृष्ट एक लाख वर्ष अधिक पल्योपम है । अपर्याप्त ज्योतिष्कदेवों की स्थिति जघन्य और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त है । पर्याप्त ज्योतिष्कदेवों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त कम पल्योपम के आठवें भाग की और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त्त कम एक लाख वर्ष अधिक एक पल्योपम की है । ज्योतिष्क देवियों की स्थिति जघन्य पल्योपम के आठवें भाग की और उत्कृष्ट पचास हजार वर्ष अधिक अर्द्धपल्योपम की है । अपर्याप्त ज्योतिष्कदेवियों की स्थिति जघन्य और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त्त है । पर्याप्त ज्योतिष्क देवियों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम पल्योपम के आठवें भाग की है और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त्त कम पचास हजार वर्ष अधिक अर्द्धपल्योपम है । चन्द्रविमान में देवों की स्थिति सामान्य ज्योतिष्क देवो के समान जान लेना । चन्द्रविमान में देवियों की स्थिति जघन्य पल्योपम का चतुर्थ भाग और उत्कृष्ट पचास हजार वर्ष अधिक अर्द्धपल्योपम है । चन्द्रविमान में अपर्याप्त देवियों की स्थिति जघन्य और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त है । चन्द्रविमान में पर्याप्त देवियों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त कम पल्योपम के चतुर्थ भाग की और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम पचास हजार वर्ष अधिक अर्द्धपल्योपम की है । भगवन् ! सूर्यविमान में देवों की स्थिति कितने काल की है ? जघन्य पल्योपम के चौथाई भाग और उत्कृष्ट एक हजार वर्ष अधिक एक पल्योपम की है । सूर्यविमान में अपर्याप्त देवों की स्थिति जघन्य और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त की है । सूर्यविमान में पर्याप्त देवों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम पल्योपम के चतुर्थभाग की और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त्त कम एक हजार वर्ष अधिक एक पल्योपम की है । सूर्यविमान में देवियों की स्थिति पल्योपम के चतुर्थभाग और उत्कृष्ट पांच सौ वर्ष अधिक अर्द्धपल्योपम है । सूर्यविमान में अपर्याप्त देवियों की स्थिति जघन्य और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त है । सूर्यविमान में पर्याप्तक देवियों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम पल्योपम के चौथाई भाग की है और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम पांच सौ वर्ष अधिक अर्द्ध पल्योपम की है । ग्रहविमान में देवों की स्थिति जघन्य पल्योपम के चौथाई भाग और उत्कृष्ट एक २२१

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