Book Title: Agam Sutra Hindi Anuvad Part 07
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Aradhana Kendra

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Page 219
________________ २१८ आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद पल्योपम है । अपर्याप्तक देवियों की स्थिति जघन्य और उत्कृष्ट अन्तर्मुहर्त है । पर्याप्तक देवियों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम दस हजार वर्ष और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम पचपन पल्योपम है । __भवनवासी देवों की स्थिति जघन्य दस हजार वर्ष और उत्कृष्ट कुछ अधिक एक सागरोपम है । अपर्याप्तक भवनवासीदेवों की स्थिति जघन्य और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त है । भगवन् ! पर्याप्तक भवनवासी देवों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम दस हजार वर्ष की और उत्कृष्ट अन्तर्मुहर्त कम कुछ अधिक सागरोपम है । भवनवासी देवियों की स्थिति जघन्य दस हजार वर्ष की है और उत्कृष्ट साढ़े चार पल्योपम है । अपर्याप्तक भवनवासी देवियों की स्थिति जघन्य और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त है । पर्याप्तकभवनवासी देवियों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम दस हजार वर्ष और उत्कृष्ट अन्तर्मुहर्त कम साढ़े चार पल्योपम है । असुरकुमार देव-देवी के विषय में सामान्य भवनवासी के समान ही समझना । नागकुमार देवों की स्थिति जघन्य दस हजार वर्ष की और उत्कृष्ट देशोन दो पल्योपमों की है । अपर्याप्त नागकुमारों की स्थिति जघन्य और उत्कृष्ट अन्तर्मुहर्त है । पर्याप्त नागकुमारों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम दस हजार वर्ष और उत्कृष्ट अन्तर्मुहर्त कम देशोन दो पल्योपम है । नागकुमार देवियों की स्थिति जघन्य दस हजार वर्ष की और उत्कृष्ट देशोन पन्योपम है । अपर्याप्त नागकुमार देवियों की स्थिति जघन्य और उत्कृष्ट अन्तर्मुहर्त है । पर्याप्त नागकुमारदेवियों की स्थिति जघन्य अन्तमुहर्त कम दस हजार वर्ष और उत्कृष्ट देशोन पल्योपम में अन्तर्मुहूर्त कम है । - सूपर्णकुमार से स्तनीतकुमार के देव-देवी के विषय में नागकुमार के समान ही समस्त प्रश्नोत्तर समझना । [३००] भगवन् ! पृथ्वीकायिक जीवों की कितने काल तक की स्थिति है ? जघन्य अन्तर्मुहुर्त की और उत्कृष्ट बाईस हजार वर्ष । अपर्याप्त पृथ्वीकायिक की स्थिति जघन्य और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त है । पर्याप्त पृथ्वीकायिक की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम बाईस हजार वर्ष है । सूक्ष्म पृथ्वीकायिक जीवों की स्थिति जघन्य और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त है । इसी तरह सूक्ष्मपृथ्वीकायिक अपर्याप्तक और पर्याप्तक की स्थिति भी समझना। बादर पृथ्वीकायिक जीवों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट बाईस हजार वर्ष है । बादर पृथ्वीकायिक अपर्याप्तक की स्थिति जघन्य और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त है । पर्याप्तक बादर पृथ्वीकायिक की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम बाईस हजार वर्ष की है। __ भगवन् ! अप्कायिक जीवों की कितने काल तक की स्थिति कही गई है ? गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट सात हजार वर्ष है । अपर्याप्त अप्कायिक जीवों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त है । पर्याप्तक अप्कायिक जीवों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त तथा उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम सात हजार वर्ष है । सूक्ष्म अप्कायिकों के औधिक, अपर्याप्तकों और पर्याप्तकों की स्थिति सूक्ष्म पृथ्वीकायिकों के समान जानना । बादर अप्कायिक जीवों की स्थिति सामान्य अप्कायिक समान ही जानना केवल पर्याप्तको की उत्कृष्ट स्थिति में अन्तर्मुहूर्त कम समझना ।। भगवन् ! तेजस्कायिक की स्थिति ? जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट तीन रात्रि-दिन

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