Book Title: Agam Sutra Hindi Anuvad Part 07
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Aradhana Kendra

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Page 217
________________ २१६ आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद तिर्यंचयोनिक स्त्रियाँ असंख्यातगुणी हैं, ३४. स्थलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिक पुरुष संख्यातगुणे हैं, ३५. स्थलचर-पंचन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिक स्त्रियां संख्यातगुणी हैं, ३६. जलचर-पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक पुरुष संख्यातगुणे हैं, ३७. जलचर-पंचेन्द्रिये-तिर्यंचयोनिक स्त्रियाँ संख्यातगुणी हैं, ४०. ज्योतिष्क-देव संख्यातगुणे हैं, ४१. ज्योतिष्क-देवियां संख्यातगुणी हैं, ४२. खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक नपुंसक संख्यातगुणे हैं, ४३. स्थलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिक नपुंसक संख्यातगुणे हैं, ४४. जलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिकनपुंसक संख्यातगुणे अधिक हैं, ४५. चतुरिन्द्रिय-पर्याप्तक संख्यातगुणे हैं, ४६. पंचेन्द्रिय-पर्याप्तक विशेषाधिक हैं, ४७. (उनकी अपेक्षा) द्वीन्द्रिय-पर्याप्तक विशेषाधिक हैं, ४८. त्रीन्द्रिय-पर्याप्तक विशेषाधिक हैं, ४९. पंचेन्द्रिय अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ५०. चतुरिन्द्रिय अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं, ५१. त्रीन्द्रिय अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं, ५२. द्वीन्द्रिय पर्याप्तक विशेषाधिक हैं, ५३. प्रत्येकशरीर बादर वनस्पतिकायिक-पर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ५४. बादर निगोद-पर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ५५. बादर-पृथ्वीकायिक-पर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ५६. बादर-अप्कायिक-पर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ५७. बादर-वायुकायिक-पर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ५८. बादर तेजस्कायिक-अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ५९. प्रत्येकशरीर-बादर-वनस्पतिकायिक-अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ६०. बादरनिगोद-अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ६१. बादर पृथ्वीकायिक-अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ६२. बादर-अप्कायिक-अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ६३. बादर-वायुकायिक-अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ६४. सूक्ष्म तेजस्कायिक-अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं । उनसे ६५. सूक्ष्म पृथ्वीकायिक-अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं, ६६. सूक्ष्म अप्कायिक-अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं, ६७. सूक्ष्म वायुकायिक, अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं, ६८. सूक्ष्म तेजस्कायिकपर्याप्तक संख्यातगुणे हैं, ६९. सूक्ष्म पृथ्वीकायिक-पर्याप्तक विशेषाधिक हैं, ७०. सूक्ष्म अप्कायिक-पर्याप्तक विशेषाधिक हैं, ७१. सूक्ष्म वायुकायिक-पर्याप्तक विशेषाधिक हैं, ७२. सूक्ष्म निगोद-अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ७३. सूक्ष्म निगोद-पर्याप्तक संख्यातगुणे हैं, ७४. अभवसिद्धिक (अभव्य) अनन्तगुणे हैं, ७५. सम्यक्त्व से भ्रष्ट अनन्तगुणे हैं, ७६. सिद्ध अनन्तगुणे हैं, ७७. बादर वनस्पतिकायिक-पर्याप्तक अनन्तगुणे हैं, ७८. बादरपर्याप्तक विशेषाधिक हैं, ७९. बादर वनस्पतिकायिक-अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ८०. बादर-अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं, ८१. बादर विशेषाधिक हैं, ८२. सूक्ष्म वनस्पतिकायिक-अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ८३. सूक्ष्म-अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं, ८४. सूक्ष्म वनस्पतिकायिक पर्याप्तक संख्यातगुणे हैं, ८५. सूक्ष्म-पर्याप्तक विशेषाधिक हैं, ८६. सूक्ष्म विशेषाधिक हैं, ८७. भवसिद्धिक विशेषाधिक हैं, ८८. निगोद के जीव विशेषाधिक हैं, ८९. वनस्पति जीव विशेषाधिक हैं, ९०. एकेन्द्रिय जीव विशेषाधिक हैं, ९१. तिर्यञ्चयोनिक विशेषाधिक हैं, ९२. मिथ्यादृष्टिजीव विशेषाधिक हैं, ९३. अविरत जीव विशेषाधिक हैं, ९४. सकषायी जीव विशेषाधिक हैं, ९५. छद्मस्थ जीव विशेषाधिक हैं, ९६. सयोगी जीव विशेषाधिक हैं, ९७. संसारस्थ जीव विशेषाधिक हैं, ९८. उनसे सर्वजीव विशेषाधिक हैं । पद-३ का मुनिदीपरत्नसाग कृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण

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