Book Title: Agam Sutra Hindi Anuvad Part 07
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Aradhana Kendra

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Page 210
________________ प्रज्ञापना-३/-/२६६ २०९ असंख्यातगुणे हैं, बादर-अप्कायिक-पर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, बादर-वायुकायिक पर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, सूक्ष्म-तेजस्कायिक-पर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, सूक्ष्म पृथ्वीकायिक-पर्याप्तक विशेषाधिक हैं, सूक्ष्म-अप्कायिक-पर्याप्तक विशेषाधिक हैं, सूक्ष्म वायुकायिक-पर्याप्तक विशेषाधिक हैं, सूक्ष्म निगोद-पर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, बादरवनस्पतिकायिक-पर्याप्तक अनन्तगुणे हैं, बादर-पर्याप्तक जीव विशेषाधिक हैं, सूक्ष्म वनस्पतिकायिक पर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं सूक्ष्मपर्याप्तक जीव विशेषाधिक हैं ।। भगवन् ! इन सूक्ष्म और बादर जीवों के पर्याप्तकों और अपर्याप्तकों में से कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे थोड़े बादर पर्याप्तक हैं, बादर अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, सूक्ष्म अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं और उनसे भी सूक्ष्म पर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं । इसी तरह पृथ्वीकाय से लेकर वनस्पतिकायिक और निगोदो के विषय में जानना । भगवन् ! इन सूक्ष्म-जीवों, सूक्ष्म-पृथ्वीकायिकों, यावत् बादर-त्रसकायिकों के पर्याप्तकों और अपर्याप्तकों में कौन किन से अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे अल्प बादर तेजस्कायिक पर्याप्तक हैं, बादर त्रसकायिक पर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, बादर त्रसकायिक अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, प्रत्येकशरीर बादर वनस्पतिकायिक पर्याप्तक असंख्येयगुणे हैं, बादर निगोद पर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, बादर पृथ्वीकायिक पर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, बादर-अप्कायिक पर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, बादर वायुकायिक पर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, बादर तेजस्कायिक अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, प्रत्येकशरीर बादर वनस्पतिकायिक अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, बादर निगोद अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, बादर पृथ्वीकायिक अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, बादर अप्कायिक अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, बादर वायुकायिक अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, सूक्ष्म तेजस्कायिक अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, सूक्ष्म पृथ्वीकायिक अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं, सूक्ष्म अप्कायिक अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं, सूक्ष्म वायुकायिक अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं, सूक्ष्म तेजस्कायिक पर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, सूक्ष्म पृथ्वीकायिक पर्याप्तक विशेषाधिक हैं, सूक्ष्म अप्कायिक पर्याप्तक विशेषाधिक हैं, सूक्ष्म वायुकायिक पर्याप्तक विशेषाधिक हैं, सूक्ष्म निगोद पर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, सूक्ष्म निगोद पर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, बादर वनस्पतिकायिक पर्याप्तक अनन्तगुणे हैं, बादर पर्याप्तक जीव विशेषाधिक हैं, बादर वनस्पतिकायिक अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, बादर अपर्याप्तक जीव विशेषाधिक हैं, बादर जीव विशेषाधिक हैं, सूक्ष्म वनस्पतिकायिक अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, सूक्ष्म अपर्याप्तक जीव विशेषाधिक हैं; सूक्ष्म वनस्पतिकायिक पर्याप्तक संख्यातगुणे हैं, सूक्ष्म पर्याप्तक जीव विशेषाधिक हैं, उनसे भी सूक्ष्म जीव विशेषाधिक हैं। [२६७] भगवन् ! इन सयोगी, मनोयोगी, वचनयोगी, काययोगी और अयोगी जीवों में से कौन यावत् विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे अल्प जीव मनोयोगी हैं, वचनयोगी जीव असंख्यातगुणे हैं, अयोगी अनन्तगुणे हैं, काययोगी अनन्तगुणे हैं, उनसे भी सयोगी विशेषाधिक हैं । [२६८] भगवन् ! इन सवेदी, स्त्रीवेदी, पुरुषवेदी, नपुंसकवेदी और अवेदी जीवों में

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