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आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद
[५८] और जितनी भी इस प्रकार की हैं, (उन्हें लता समझना चाहिए ।) वे वल्लियां किस प्रकार की होती हैं ? अनेक प्रकार की हैं । वे इस प्रकार हैं
[५९] पूसफली, कालिंगी, तुम्बी, त्रपुषी, एलवालुकी, घोषातकी, पटोला, पंचांगुलिका, नालीका । तथा
[६०] कंगूका, कुद्दकिका, कर्कोटकी, कारवेल्लकी, सुभगा, कुवधा, वागली, पापवल्ली, देवदारु । तथा
[६१] अपफोया, अतिमुक्तका, नागलता, कृष्णसूरवल्ली, संघट्टा, सुमनसा, जासुवन, कुविन्दवल्ली । तथा
[६२] मुद्वीका, अप्पा, भल्ली, क्षीरविराली, जीयंती, गोपाली, पाणी, मासावल्ली, गुंजावल्ली, वच्छाणी । तथा
[६३] शशबिन्दु, गोत्रस्पृष्टा, गिरिकर्णकी, मालुका, अंजनकी, दहस्फोटकी, काकणी, मोकली तथा अर्कबोन्दी ।
[६४] इसी प्रकार की अन्य जितनी भी (वनस्पतियां हैं, उन सबको वल्लियां समझना। वे पर्वक (वनस्पतियां) किस प्रकार की हैं ? अनेक प्रकार की हैं । [६५] इक्षु, इक्षुवाटी, वीरण, एक्कड़, भमास, सूंठ, शर, वेत्र, तिमिर, शतपर्वक, नल।
[६६] वंश, वेलू, कनक, कंकावंश, चापवंश, उदक, कुटज, विमक, कण्डा, वेलू और कल्याण ।
[६७] और भी जो इसी प्रकार की वनस्पतियाँ हैं, (उन्हें पर्वक में ही समझनी चाहिए)।
वे तृण कितने प्रकार के हैं ? अनके प्रकार के हैं ।
[६८] सेटिक, भक्तिक, होत्रिक, दर्भ, कुश, पर्वक, पोटकिला, अर्जुन, आषाढ़क, रोहितांश, शुकवेद, क्षीरतुष ।
[६९] एरण्ड कुरुविन्द, कक्षट, सूंठ, विभंगू, मधुरतृण, लवणक, शिल्पिक और सुंकलीतृण ।
[७०] जो अन्य इसी प्रकार के हैं (उन्हें भी तृण समझना चाहिए) । वे वलय (जाति की वनस्पतियां) किस प्रकार की हैं । अनेक प्रकार की हैं ।
[७१] ताल, तमाल, तर्कली, तेतली, सार, सार-कल्याण, सरल, जावती, केतकी, कदली, धर्मवृक्ष । तथा
[७२] भुजवृक्ष, हिंगुवृक्ष, लवंगवृक्ष । पूगफली, खजूर और नालिकेरी | [७३] यह और ईस प्रकार की अन्य वनस्पति को वलय समझना । वे हरित (वनस्पतियां) किस प्रकार की हैं ? अनेक प्रकार की हैं ।
[७४] अद्यावरोह, व्युदान, हरितक, तान्दुलेयक, तृण, वस्तुल, पारक, मार्जार, पाती, बिल्वी, पाल्यक ।
[७५] दकपिप्पली, दर्वी, स्वस्तिक शक, माण्डुकी, मूलक, सर्षप, अम्लशाक और जीवान्तक । तथा
[७६] तुलसी, कृष्ण, उदार, फाणेयक, आर्यक, भुजनक, चोरक, दमनक, मरुचक,