Book Title: Agam Sutra Hindi Anuvad Part 07
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Aradhana Kendra

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Page 170
________________ प्रज्ञापना - १/-/१३ १६९ रूप में, लाल वर्ण के रूप में, पीले वर्ण के रूप में और शुक्ल वर्ण के रूप में परिणत । जो गन्धपरिणत हैं, वे दो प्रकार के हैं सुगन्ध के रूप में और दुर्गन्ध के रूप में परिणत रसपरिणत पांच प्रकार के हैं । तिक्त रसके रूप में, कटु रस के रूप में, कषाय रस के रूप में, अम्ल रस के रूप में और मधुर रस के रूप में परिणत । स्पर्शपरिणत आठ प्रकार के हैं, कर्कश, मृदु, गुरु, लघु, शीत, उष्ण, स्निग्ध और रूक्ष स्पर्श के रूप में परिणत । संस्थानपरिणत पांच प्रकार के हैं । परिमण्डल, वृत्त, त्र्यत्र, चतुरस्र और आयत संस्थान के रूप में परिणत । जो वर्ण से काले वर्ण में परिणत हैं, उनमें से गन्ध की अपेक्षा से सुरभिगन्ध-परिणत भी होते हैं, दुरभिगन्ध - परिणत भी । रस से तिक्तरस - परिणत भी होते हैं, यावत् मधुररस - परिणत भी होते हैं । उनमें से स्पर्श से कर्कशस्पर्शपरिणत भी होते हैं, यावत् रूक्षस्पर्श - परिणत भी । वे संस्थान से परिमण्डलसंस्थान - परिणत भी होते हैं, यावत् आयतसंस्थान - परिणत भी होते हैं। जो वर्ण से नीले वर्ण में परिणत होते हैं, उनमें से गन्ध की अपेक्षा सुगन्ध - परिणत भी होते हैं और दुर्गन्ध - परिणत भी; रस से तिक्तरस - परिणत भी होते हैं, यावत् मधुररस - परिणत भी । (वे) स्पर्श से कर्कशस्पर्श - परिणत भी होते हैं यावत् रूक्षस्पर्श - परिणत भी । (वे ) संस्थान से परिमण्डलसंस्थान - परिणत भी होते हैं, यावत् आयतसंस्थान - परिणत भी । जो वर्ण से रक्तवर्णपरिणत हैं, उनमें से कोई गन्ध से सुगन्धपरिणत होते हैं, यावत् आयतसंस्थान - परिणत भी । जो वर्ण से हारिद्र वर्ण-परिणत होते हैं, उनमें से कोई गन्ध से सुगन्ध- परिणत भी होते हैं, यावत् आयतसंस्थान - परिणत भी । जो वर्ण से शुक्लवर्ण-परिणत होते हैं, उनमें से कोई सुगन्ध - परिणत भी होते हैं यावत् आयतसंस्थान - परिणत भी । जो गन्ध से सुगन्ध - परिणत होते हैं, वे वर्ण से कृष्णवर्ण यावत् शुक्लवर्ण - परिणत भी होते हैं । वे रस से - तिक्तरस यातव् मधुररस-परिणत भी होते हैं । स्पर्श से - कर्कशस्पर्श यावत् और रूक्षस्पर्श - परिणत भी होते हैं । (वे) संस्थान से परिमण्डलसंस्थान यावत् आयतसंस्थानपरिणत भी होते है । जो गन्ध से - दुर्गन्धपरिणत होते हैं, वे वर्ण से कृष्णवर्ण - परिणत भी होते हैं, यावत् आयतसंस्थान - परिणत भी होते हैं । जो रस से तिक्तरस - परिणत होते हैं, वे वर्ण से - कृष्णवर्ण - परिणत भी होते हैं यावत् शुक्लवर्ण - परिणत भी । गन्ध से सुगन्ध - परिणत भी और दुर्गन्ध - परिणत भी होते हैं । स्पर्श से - ( वे) कर्कशस्पर्श - परिणत होते हैं, यावत् रूक्षस्पर्श - परिणत भी । संस्थान से वे परिमण्डलसंस्थानपरिणत भी होते हैं, यावत् आयतसंस्थान - परिणत भी । जो रस से - कटुरस - परिणत होते हैं, वे वर्ण से कृष्णवर्ण- परिणत भी होते हैं यावत् आयतसंस्थान - परिणत भी । जो रस से कषायरस - परिणत होते हैं, वे वर्ण से कृष्णवर्ण- परिणत भी होते हैं, यावत् संस्थान से—आयतसंस्थान-परिणत भी । जो रस से अम्लरस - परिणत होते हैं, वे वर्ण से कृष्णवर्णपरिणत भी होते हैं, यावत् संस्थान से - आयतसंस्थानसंस्थित भी । जो रस से मधुरसपरिणत होते हैं, वे वर्ण से कृष्णवर्ण- परिणत भी होते हैं यावत् संस्थान से- आयतसंस्थान - परिणत भी । जो स्पर्श से कर्कशस्पर्शपरिणत होते हैं, वे वर्ण से कृष्णवर्ण- परिणत भी होते हैं यावत् संस्थान से- आयतसंस्थान - परिणत भी । जो स्पर्श से मृदु स्पर्श-परिणत होते हैं, वे वर्ण से कृष्णवर्ण यावत् शुक्लवर्ण-परिणत

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