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आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद
[२४५] भगवन् ! आभ्यन्तर पुष्करार्ध आभ्यन्तर पुष्करार्ध क्यों कहलाता है ? गौतम ! आभ्यन्तर पुष्करार्ध सब ओर से मानुषोत्तरपर्वत से घिरा हुआ है । इसलिये यावत् वह नित्य है ।
[२४६] गौतम ! ७२ चन्द्र और ७२ सूर्य प्रभासित होते हुए पुष्करवरद्वीपार्ध में विचरण करते हैं।
[२४७] ६३३६ महाग्रह गति करते हैं और २०१६ नक्षत्र चन्द्रादि से योग करते हैं।
[२४८-२४९] ४८२२२०० ताराओं की कोडाकोडी वहां शोभित होती थी, शोभित होती है और शोभित होगी ।
[२५०] हे भगवन् ! समयक्षेत्र का आयाम-विष्कंभ और परिधि कितनी है ? गौतम ! आयाम-विष्कंभ से ४५ लाख योजन है और उसकी परिधि आभ्यन्तर पुष्करवरद्वीप समान है। हे भगवन् ! मनुष्यक्षेत्र, मनुष्यक्षेत्र क्यों कहलाता है ? गौतम ! मनुष्यक्षेत्र में तीन प्रकार के मनुष्य रहते हैं, कर्मभूमक, अकर्मभूमक और अर्दीपक । इसलिए हे भगवन् ! मनुष्यक्षेत्र में कितने चन्द्र प्रभासित होते थे, होते हैं और होंगे ? आदि प्रश्न ।
[२५१] गौतम ! १३२ चन्द्र और १३२ सूर्य प्रभासित होते हुए सकल मनुष्यक्षेत्र में विचरण करते हैं ।
[२५२] ११६१६ महाग्रह यहां अपनी चाल चलते हैं और ३६९६ नक्षत्र चन्द्रादिक के साथ योग करते हैं ।
[२५३-२५४] ८८४०७०० कोटाकोटी तारागण मनुष्यलोक में-शोभित होते थे, शोभित होते हैं और शोभित होंगे।
[२५५] इस प्रकार मनुष्यलोक में तारापिण्ड पूर्वोक्त संख्याप्रमाण हैं । मनुष्यलोक में बाहर तारापिण्डों का प्रमाण जिनेश्वर देवों ने असंख्यात कहा है ।
[२५६] मनुष्यलोक में जो पूर्वोक्त तारागणों का प्रमाण है वे ज्योतिष्क देवविमानरूप हैं, वे कदम्ब के फूल के आकार के हैं तथाविध जगत्-स्वभाव से गतिशील हैं ।
[२५७] सूर्य, चन्द्र ग्रह, नक्षत्र, तारागण का प्रमाण मनुष्यलोक में इतना ही कहा गया है । इनके नाम-गोत्र अनतिशायी सामान्य व्यक्ति कदापि नहीं कह सकते ।
[२५८] मनुष्यलोक में चन्द्रों और सूर्यों के ६६-६६ पिटक हैं । एक-एक पिटक में दो चंद्र और दो सूर्य होते हैं ।
[२५९] मनुष्यलोक में नक्षत्रों में ६६ पिटक हैं । एक-एक पिटक में छप्पन-छप्पन नक्षत्र हैं ।
[२६०] मनुष्यलोक में महाग्रहों के ६६ पिटक हैं । एक-एक पिटक में १७६-१७६ महाग्रह हैं ।
[२६१] मनुष्यलोक में चन्द्र और सूर्यो की चार-चार पंक्तियां हैं । एक-एक पंक्ति में ६६-६६ चन्द्र और सूर्य हैं । । [२६२] मनुष्यलोक में नक्षत्रों की ५६ पंक्तियां हैं । प्रत्येक पंक्ति में ६६-६६ नक्षत्र हैं।
[२६३] इस मनुष्यलोक में ग्रहों की १७६ पंक्तियां हैं । प्रत्येक पंक्ति में ६६-६६ ग्रह हैं ।