Book Title: Agam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Tarunmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan
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(Answer) Bhaava skandh (perfect skandh) is of two types—(1) Agamatah bhaava skandh (perfect skandh in context of Agam), and (2) No-Agamatah bhaava skandh (perfect skandh not in context of Agam). (१) आगमतः भाव स्कन्ध
७०. से किं तं आगमतो भावखंधे ? आगमतो भावखंधे जाणए उवउत्ते। से तं आगमतो भावखंधे। ७०. (प्रश्न) आगमतः भाव स्कन्ध क्या है ?
(उत्तर) जो स्कन्ध इस पद के अर्थ को जानता है और उपयोगयुक्त है, वह आगमतः भाव स्कन्ध है। (1) AGAMATAH BHAAVA SKANDH ___70. (Question) What is Agamatah bhaava skandh (perfect skandh with scriptural knowledge) ?
(Answer) One who knows the meaning of the word skandh (lump or aggregate) and is sincerely involved with it is called Agamatah bhaava skandh (perfect skandh with scriptural knowledge). (२) नोआगमतः भाव स्कन्ध
७१. से किं तं नोआगमओ भावखंधे ? नोआगमओ भावखंधे एएसिं चेव सामाइयमाइयाणं छण्हं अज्झयणाणं समुदय-समिइ-समागमेणं निप्पन्ने आवस्सगयसुयक्खंधे भावखंधे त्ति लब्भइ।
से तं नोआगमतो भावखंधे। से तं भावखंधे। ७१. (प्रश्न) नो-आगमतः भाव स्कन्ध क्या है ?
(उत्तर) सामायिक आदि इन्हीं छह अध्ययनों के समुदय के मिलने से निष्पन्न 2 आवश्यक श्रुत स्कन्ध नो-आगमतः भाव स्कन्ध कहलाता है।
इस प्रकार से नो-आगमतः भाव स्कन्ध तथा भाव स्कन्ध की वक्तव्यता जानना चाहिए।
ॐ
अनुयोगद्वार सूत्र
( १०८ )
Illustrated Anuyogadvar Sutra
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