Book Title: Agam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Tarunmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan
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(sequential substances conforming to coordinated and particularized viewpoints) exist?
(Answer) With respect to a single anupurvi (sequential) substance they exist in the same form for a minimum of one samaya and maximum of immeasurable time. With respect to many anupurvi (sequential) substances as a rule they exist always.
(२) एवं दोनिवि |
( २ ) इसी प्रकार अनानुपूर्वी और अवक्तव्य द्रव्यों की जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति भी जानना चाहिए।
110. (2) Same is true for the remaining two (ananupurvi and avaktavya substances).
विवेचन - सूत्र में आनुपूर्वी आदि द्रव्यों का एक और अनेक की अपेक्षा से उन्हीं आनुपूर्वी आदि द्रव्यों के रूप में रहने के काल - (समय) का कथन किया है।
आनुपूर्वीद्रव्य का आनुपूर्वीद्रव्य के रूप में रहने का जघन्य एक समय और उत्कृष्ट असंख्यात काल बताया है। इसका कारण है- परमाणुद्वय आदि में दूसरे परमाणुओं के मिलने पर एक नया आनुपूर्वीद्रव्य उत्पन्न हो जाता है और एक समय के बाद ही उसमें से एक आदि परमाणु के वियुक्त हो जाने पर वह आनुपूर्वीद्रव्य उस रूप से विनष्ट हो जाता है। इस अपेक्ष आनुपूर्वीद्रव्य का आनुपूर्वी के रूप में रहने का काल जघन्य एक समय होता है और जब वही एक आनुपूर्वीद्रव्य असंख्यात काल तक उसी आनुपूर्वीद्रव्य के रूप में रहकर एक आदि परमाणु से वियुक्त होता है तब उसकी अवस्थिति का उत्कृष्ट असंख्यात काल कहा गया है।
अनेक आनुपूर्वीद्रव्यों की अपेक्षा तो इन आनुपूर्वीद्रव्यों की स्थिति नियमतः सार्वकालिक है । क्योंकि ऐसा कोई काल नहीं कि जिसमें ये आनुपूर्वीद्रव्य न हों।
किसी भी एक आनुपूर्वीद्रव्यका आनुपूर्वी रूप में रहने का काल अनन्त नहीं है । क्योंकि पुद्गल संयोग की उत्कृष्ट स्थिति असंख्यात काल की ही होती है । कोई भी स्कन्ध असंख्य काल के पश्चात् वर्तमान रूप में नहीं रहता वह या तो वियुक्त हो जाता है या अन्यान्य परमाणुओं अथवा स्कन्धों से संयुक्त हो जाता है । ( विस्तार के लिए देखें श्री ज्ञान मुनि जी कृत हिन्दी टीका पृ. ५१४-१५)
पूर्वी प्रकरण
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The Discussion on Anupurvi
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