Book Title: Agam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Tarunmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 442
________________ k ootoन (Answer) Anadi-parinamik Bhaava (transformative state without a beginning) is-Dharmastikaya (motion entity), Adharmastikaya . (rest entity), Akashastikaya (space entity), Jivastikaya (life entity), Pudgalastikaya (matter entity), Addhakala (time), Loka (occupied space), Aloka (space beyond or unoccupied space), Bhava-siddhik (soul worthy of liberation), and Abhava-siddhik (soul unworthy of liberation). This concludes the description of Anadi-parinamik (transformative state without a beginning). This also concludes the description of Parinamik (transformative state). विवेचन-पारिणामिकभाव का लक्षण व विशेषता-द्रव्य के मूल स्वभाव में रहते हुए पूर्व अवस्था का विनाश तथा उत्तर अवस्था की उत्पत्ति होती रहना परिणमन-परिणाम है। क्या भरतादि क्षेत्र सादिपारिणामिक है?-भरतादि क्षेत्र, हिमवान् आदि वर्षधर पर्वत, ॐ नरक-भूमियाँ एवं देवविमान अपने आकार मात्र से अवस्थित रहने के कारण शाश्वत अवश्य हैं किन्तु वे पौद्गलिक हैं और पुद्गलद्रव्य परिणमनशील होने से जघन्य एक समय और उत्कृष्ट असंख्यात काल बाद उसमें अवश्य परिणमन होता है। तब विलग हुए उन पुद्गलस्कन्धों के स्थान में दूसरे-दूसरे स्कन्ध मिलकर उस-उस रूप में परिणत हो जाते हैं। इसलिए वर्षधरादिकों को सादिपारिणामिकता के रूप में उदाहृत किया है। मेघ आदि तो कुछ काल पर्यन्त ही रहते हैं, अतः सादिरूपता स्वयंसिद्ध है। ____ धर्मास्तिकाय आदि षड्द्रव्य, लोक, अलोक, भवसिद्धिक, अभवसिद्धिक आदि अनादिपारिणामिकभाव-इसलिए है कि वे स्वभावतः अनादि काल से उस-उस रूप से परिणत हैं और अनन्तकाल तक रहेंगे। ___Elaboration-Definition of transformative state is-The basic nature of a substance remaining same, the destruction of present state and creation of a new state is called parinaman or transformation. The state arrived at through this process is called transformative state. Are areas like Bharat examples of transformative state ? Countries like Bharat, mountains like Himavan, infernal worlds, and divine worlds apparently maintain their existing form, and अनुयोगद्वार सूत्र ( ३७२ ) lustrated Anuyogadvar Sutra animoWOWIOIMMODWAORMAORYAORTAORTAOXIAORIAORTAODTARATHotaoptostot N YoPARYANVAROJANOPAN Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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