Book Title: Agam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Tarunmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 443
________________ ज * * in that context they are eternal. But they still are of material origin. Matter being a continuously transforming substance essentially undergoes transformation within a minimum of one samaya and maximum of inexpressible time. In this process aggregates of paramanus (ultimate-particles) get exchanged with other aggregates even though the resulting apparent form remains the same. That is why all these have been included in the list of transformative substances with a beginning. Clouds nd other such things have evident transformation during much shorter span of time, thus they naturally fall in this category. Dharmastikaya and other things of the second list exist since time immemorial and will continue to do so, thus they are transformative without a beginning. कठिन शब्दों के अर्थ-अभा-अभ्र, मेघ। अन्भरुक्खा-अभ्रवृक्ष-वृक्षाकार में परिणत हुए मेघ । संझा-संध्या-दिनरात्रि का संधिकाल। गंधवणगरा-गंधर्वनगर-उत्तम प्रासाद से शोभित नगर की आकृति जैसे आकाश में बने हुए पुद्गलों का परिणमन। उक्कावाया-उल्कापातआकाशप्रदेश से गिरता हुआ तेजपुंज। दिसादाघा-दिग्दाह-किसी एक दिशा की ओर आकाश में जलती हुई अग्नि का आभास होना-दिखाई देना। णिग्घाया-निर्घात-गाज युक्त बिजली कौंधना अथवा गिरना। जूवया-यूपक-शुक्लपक्ष सम्बन्धी प्रथम तीन दिन का बाल चन्द्र/संध्या की प्रभा तथा चन्द्रमा की प्रभा का मिश्रण। जक्खादित्ता-यक्षादीप्त-आकाश में दिखाई देती हुई पिशाचाकृतिमय अग्नि। धूमिया-धूमिका-आकाश में रूक्ष और विरल दिखाई पड़ती हुई धुएँ जैसी एक प्रकार की धूमस/कुहासा। महिया-महिका-जलकणयुक्त धूमस। रयुग्घाओरजोद्घात-आकाश में धूलि का उड़ना, आँधी। चंदोवराग सूरोवराग-चन्दोपराग, सूर्योपरागचन्द्रग्रहण और सूर्यग्रहण। चंदपरिवेसा सूरपरिवेसा-चन्द्रपरिवेश, सूर्यपरिवेश-चन्द्र और सूर्य के चारों ओर गोलाकार में परिणत हुए पुद्गल परमाणुओं का मण्डल। पडिचंदया, पडिसूरयाप्रतिचन्द्र, प्रतिसूर्य-उत्पात आदि का सूचक द्वितीय चन्द्र और द्वितीय सूर्य का दिखाई पड़ना। इंदधणु-इन्द्रधनुष-आकाश में नील-पीत आदि वर्ण विशिष्ट धनुषाकार आकृति। उदगमच्छउदकमत्स्य-इन्द्रधनुष के खण्ड, टुकड़े। कविहसिया-कपिहसिता-कभी-कभी आकाश से सुनाई पड़ने वाली अति कर्णकटु ध्वनि। अमोहा-अमोघ-उदय और अस्त के समय सूर्य की किरणों द्वारा उत्पन्न लम्बी-लम्बी काली रेखा विशेष। ___Technical Terms-Abbha-abhra; clouds. Abbharukkhaabhra-vriksha; clouds in the shape of a tree. Sanjjha-sandhya; conjunction (sandhi) of day and night; dusk. भाव प्रकरण ( ३७३ ) The Discussion on Bhaava * 628092694098680PROPROPROD.CHODMRODMRODMRODMR Sasiriakat ROPROVAROVATOR KheKaKahanKaKheta Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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