Book Title: Agam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Tarunmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 469
________________ __(२६०-२) इन सात स्वरों के सात स्वर-(उच्चारण)स्थान कहे गये हैं। वे स्थान इस प्रकार हैं (१) जिह्वा के अग्रभाग से षड्जस्वर का उच्चारण होता है। (२) वक्षस्थल से ऋषभस्वर का (३) कण्ठ से गांधारस्वर का (४) जिह्वा के मध्य भाग से मध्यम स्वर का (५) नासिका से पंचमस्वर का (६) दाँत और ओठ के संयोग से धैवतस्वर का तथा (७) मूर्धा (भ्रकुटि तने हुए शिर) से निषाद स्वर का उच्चारण किया जाता है। ये सातों स्वरों के मूल स्थान बतलाये गये हैं ॥२६॥२७॥ PLACES OF ORIGIN OF SEVEN SVARS 260. (2) There are said to be seven svars (places of origin) of these seven svars (musical notes). They are as follows (1) Shadj is produced from the tip of the tongue. (2) Rishabh is produced from the chest... (3) Gandhar is produced from the throat. (4) Madhyam is produced from the middle of the tongue. (5) Pancham is produced from the nose. (6) Dhaivat is produced from the teeth and lips. (7) Nishad is produced from raised eyebrows (eyebrows are raised when this note is produced). This concludes the description of places of origin of svars (musical notes). विवेचन-पिछले विवेचन में संगीत शास्त्र के अनुसार सातों स्वरों के भिन्न-भिन्न स्थान बताये हैं। किन्तु यहाँ पर मूल सूत्र में एक-एक स्वर का एक-एक मूल स्थान बताया है। यह सत्य है कि एक स्वर के उच्चारण में विभिन्न अवयवों पर जोर पड़ता है, किन्तु प्रत्येक स्वर रवर-मण्डल प्रकरण . ( ३९९ ) The Discussion on Svar * Jain Education International www.jainelibrary.org For Private & Personal Use Only

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