Book Title: Agam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Tarunmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 479
________________ 260. (8) The Madhyam gram (scale) has seven Murcchanas (modulations). They are— (1) Uttaramanda, (2) Rajani, (3) Uttara, (4) Uttarayata, (5) Ashvakranta, (6) Sauvira, and (7) Abhirudgata. (40) (९) गंधारगामस्स णं सत्त मुच्छणाओ पण्णत्ताओ। तं जहा नंदी य खुड्डिमा पूरिमा चउथी य सुद्धगंधारा। उत्तरगंधारा वि य पंचमिया हवइ मुच्छा उ॥४१॥ सुठुत्तरमायामा सा छट्ठा नियमसो उ णायव्या। अहीउत्तरायता कोडिमा य सा सत्तमी मुच्छा॥४२॥ (२६०-९) गांधार ग्राम की सात मूर्च्छनाएँ कही गई हैं। उनके नाम हैं (१) नन्दी, (२) क्षुद्रिका, (३) पूरिमा, (४) शुद्धगांधारा, (५) उत्तरगांधारा, (६) सुष्ठतर-आयामा और (७) उत्तरायता-कोटिमा॥४१-४२॥ 260. (9) The Gandhar gram (scale) has seven Murcchanas (modulations). They are (1) Nandi, (2) Kshudrika, (3) Purima, (4) Shuddha Gandhara, (5) Uttara Gandhara, (6) Sushtutar-ayama, and (7) Uttarayata-korima. (41-42) विवेचन-संगीत शास्त्र के अनुसार मनुष्य का स्वर कभी बहुत ऊँचा और कभी बहुत नीचे तक जाता है। स्वरों के इस उतार-चढ़ाव को आरोह-अवरोह कहा जाता है। यह तीन प्रकार का होता है मंद-मध्य और तार। जिसे सप्तक कहते हैं। स्वरों के इस आरोह-अवरोहात्मक परिवर्तन को ही ग्राम कहा जाता है। एक ग्राम से दूसरे ग्राम तक जाने में स्वरों के क्रमबद्ध उतार-चढ़ाव को मूर्च्छना कहा जाता है। प्रत्येक ग्राम में सात मूर्च्छनाएँ होती हैं। इस प्रकार सात स्वरों के तीन ग्राम और इक्कीस मूर्च्छनाओं का यहाँ पर उल्लेख हुआ है। ___टीकाकार हेमचन्द्र का कथन है, पूर्वगत 'स्वर प्राभृत' प्रकरण में यह संगीत सम्बन्धी वर्णन था। परन्तु वह वर्तमान में उपलब्ध नहीं है। अतः भरतनाट्य आदि के अनुसार जान लेना चाहिए। (देखें हिन्दी टीका. भाग २ पृ.२६०) स्वर-मण्डल प्रकरण ( ४०७ ) The Discussion on Svar * For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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